आखिर क्यों है इस बार अहोई अष्टमी का व्रत अहम

अहोई अष्टमी का व्रत, संतान

सुख और सौभाग्य के लिये 


 दीप्ति जैन
संतान की मंगल कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत इस बार 28 तारीख को गुरुवार के दिन विशेष संयोगों - स्वार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गज केसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है। यह व्रत मातायें संतान के सुख सौभाग्य के लिए रखती हैं। जिन माताओं व बहनों को संतान उत्पत्ति में समस्या आ रही हो वह यह व्रत अवश्य करें।
ज्योतिष के अनुसार संतान बाधा के कई कारण होते हैं। जैसे पितृ दोष, शनि दोष, केतु की जन्म कुंडली में अशुभ स्थिति व पंचम भाव में अशुभ ग्रहों की  उपस्थिति। इन परिस्थितियों में या तो जातक संतान हीन होता है या फिर संतान होते हुए भी वह मानसिक या शारीरिक रूप से अस्वस्थ होती है। माता पिता को अनेकों कष्ट झेलने पड़ते हैं।
आमतौर पर संतान चर्चा हेतु माता की जन्म कुंडली को ही प्राथमिकता दी जाती है। क्योंकि मां ही संतान को जन्म देती है। संतान के लिए कई ज्योतिषीय उपाय हैं। इनमें  गोपाल मंत्र का सवा लाख जप करना। सुमंगली अरोमा ऑयल का दीपक जलाकर मंगलवार को व्रत रखना। सोमवार को रुद्राभिषेक करना। शिव पार्वती की नियमित पूजा अर्चना करना। सूर्य देव की उपासना करना। शनि दोष निवारण हेतु शनि 3डी यंत्र भूमिगत करना। नवग्रह संतुलन हेतु नवग्रह 3डी यंत्र स्थापित करना व विकृत ग्रह की शांति हेतु किसी विशेषज्ञ द्वारा दिए हुए मंत्र का जाप करना। इन उपायों के साथ-साथ माता बहनें अहोई अष्टमी का व्रत करें।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रातः काल स्नानादि करके व्रत संकल्प ले। यह व्रत निर्जल रखा जाता है। सांय काल अहोई माता का चित्र मंदिर की पूर्व दिशा में बनाया जाता है। अहोई माता के आसपास सेई व सेई के बच्चे भी बनाए जाते हैं। यह चित्र आपको बाज़ार में भी मिल जाते है। बहुत से परिवारों में मिट्टी की भी अहोई माता बनाई जाती हैं , जिन्हें हम स्याऊ माता कहते है। माता के समक्ष जल से भरा मटका रखा जाता है। जिसके ऊपर सिंघाड़ा व अन्य मौसमी फल सब्जी रखे जाते हैं।

 मटका मिट्टी या पीतल का हो 
 ध्यान रहे यह मटका तांबे का ना हो। मिट्टी या पीतल का मटका शुभ फलदायी होता है। रात को तारों को अर्घ्य देकर इस व्रत की पारणा की जाती है। याद रहे अर्घ्य देने वाला लोटा पीतल का होना ही शुभ रहता है। तांबे के लोटे से अर्घ्य देना वर्जित है। व्रत की पारणा घर में बने सात्विक भोजन से ही करें।

 चाकू और कैंची से दूर रहें 
व्रत के दिन व्रती महिलाएं चाकू व कैची जैसी नुकीली वस्तुओं का प्रयोग ना करें। घर में शांत वातावरण बनाकर रखें।

 मां का आशीर्वाद अहम
कुछ परिवारों में लाल धागे में चांदी का मनका डालकर माला पहनायी जाती है। यह माला सास अपनी बहू को आशीर्वाद रुप में संतान खुशहाली के लिए पहनाती हैं। मां का दिया हुआ आशीर्वाद बहुत शक्तिशाली है। फलस्वरूप परिवार में सुख, वैभव खुशहाली बनी रहती है। पुत्र व पौत्र संतान परम्परा बनी रहती है।

 काले और गहरे नीले रंग के वस्त्र न पहनें 
अहोई अष्टमी के व्रत में महिलाओं को काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।. व्रत में पूजा से पहले भगवान गणेश को याद करना बिल्कुल ना भूलें। इस दिन अर्घ्य देने के लिए कांसे के लोटे का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
   


                                    लेखिका दीप्ति जैन 

                  आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ हैं 

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