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छठ पूजा में छिपे हैं आध्यात्मिक, प्राकृतिक और वैज्ञानिक रहस्य


👉सूर्य का आभार जताने को मनाया जाता है छठ पर्व

 फोटो प्रतीकात्मक


 दीप्ति जैन 
दाता को कृतज्ञता का भाव प्रकट करना मनुष्यता की निशानी है। सूर्य जो हमें निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है, उसे आभार व धन्यवाद करने हेतु 'छठ पूजा' का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, बंगलुरू, चंडीगढ़ व नेपाल के कुछ राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस त्योहार को विक्रम संवत की कार्तिक की छठ को मनाते हैं। यह चार दिन का अलौकिक पर्व है। सूर्य व उनकी सहभागी उषा को अर्घ्य देकर, हम उनका आभार प्रकट करते हैं।

सूर्य की किरणें शुद्ध विटामिन डी का स्रोत

सूर्य हमें यश, सुख, समृद्धि, प्रगति व स्वास्थ्य देता है। शीत ऋतु से पूर्व मिलने वाली सूर्य की किरणें हमारे लिए शुद्ध विटामिन डी का स्रोत है। साथ ही नदी में लंबे समय तक सूर्य की किरणों के सामने खड़े होने से व्यक्ति के अंदर जैव विद्युत का प्रवाह होता है। इससे व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बढ़कर उसके शरीर की कार्य क्षमता बढ़ती है।
 फोटो प्रतीकात्मक 

इस समय की सूर्य की किरणों से मिली ऊर्जा से श्वेत रक्त कणिका बेहतर रूप से काम करती हैं। साथ ही यह ऊर्जा हमारी ग्रंथियों को पुनः जागृत कर हारमोंस के स्त्राव को संतुलित करता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से देखो तो इस पर्व में बने पकवान को ईश्वर को अर्पण करने से हमारी मानसिक पीड़ा कम होती है। चावल व खीर बनाने व प्रसाद रूप बांटने से व्यक्ति का चंद्रमा शुद्ध होकर उसके मस्तिष्क को संतुलित करता है। शुद्ध चंद्रमा हमें मानसिक चिंता से मुक्त करता है। व्यक्ति की एकाग्रता मजबूत होती है। डर व अवसाद से मुक्ति मिलती है।

महिलाओं का सिंदूर भी काफ़ी अहम

इस उत्सव के दौरान महिला केसरिया रंग के सिंदूर का प्रयोग करती हैं। जो कि उनके आज्ञा चक्र से प्रारंभ होते हुए सहस्त्रार चक्र की तरफ से मेरूदंड तक जाता है। इस सिंदूर  मे मिश्रित पारद महिला को शांति व ठंडक प्रदान करता है। साथ ही इसका केसरिया रंग महिला के ज्ञान व शक्ति का संतुलन करता है।

व्रत करने से होता है विषाणु का हरण 

व्रत करने से व्यक्ति की पाचन शक्ति मजबूत होती है। शरीर में मौजूद विषाणु का हरण होता है। व्रत उपरांत उगते सूरज को फल- फूल अर्पण करने से व्यक्ति के सभी ग्रह शुद्ध होकर उसे सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। जीवन में सुख, शांति, प्रेम और आनंद का प्रवाह शुरू हो जाता है।यही सुंदरता व रहस्य छिपा है हमारे पर्व व तीज-त्योहार में। यह पर्व हमें वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से स्वस्थ बनाते हैं।


                                          लेखिका दीप्ति जैन 

                            आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ


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