भारत में जितने भी चुनाव होते हैं, उनको निष्पक्षता से पूर्ण कराने की जिम्मेदारी ‘भारत निर्वाचन आयोग’ की होती है। ‘भारत निर्वाचन आयोग’ का गठन भारतीय संविधान के लागू होने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हुआ था, क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतांत्रिक देश बनने वाला था और भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग का गठन जरूरी था। इसलिए 25 जनवरी 1950 को ‘भारत निर्वाचन आयोग’ गठन हुआ।
भारत सरकार ने वर्ष 2011 से हर चुनाव में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस ’25 जनवरी’ को ही ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की थी और 2011 से ही हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है।
इस दिन देश में राज्य सरकारों और अनेक सामजिक संथाओं द्वारा लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन देश के सभी नागरिकों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है।
काफी लोग ऐसे होते हैं जो पढ़े लिखे होने के बावजूद अपने मतदान के प्रति निष्क्रिय बने रहते हैं और वोट नहीं डालते। ऐसा नहीं होना चाहिए। सभी को पता है कि आम आदमी का एक वोट ही सरकार बनाने और उन्हें बदलने का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक तरीका है। मतदान से ही लोकतंत्र मजबूत होता है।
मतदान का प्रयोग उचित तरीके से हो
चुनावों में वोट डालना एक अहम जिम्मेदारी होती है। जाति, वर्ग और धर्म से परे होकर राष्ट्रहित में वोट का इस्तेमाल होना चाहिए। हर एक वोट बहुत कीमती है। एक वोट संसद और विधानसभाओं में आपके लिए अच्छा प्रतिनिधि भी चुन सकता है और एक बेकार प्रतिनिधि भी। बाद में अपने जनप्रतिनिधि की आलोचना करने और उसे नकारा बताने से अच्छा है अपना वोट उचित तरीके से डालें। प्रत्येक चुनाव में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा भागीदारी करनी चाहिए और ऐसी सरकारें चुननी चाहिए, जो कि सांप्रदायिकता और जातिवाद से ऊपर उठकर देश के विकास के बारे में सोचें।जिस दिन देश से जातिवाद, ऊंच-नीच, सांप्रदायिक भेदभाव खत्म हो जाएगा, देश तरक्की की नई ऊंचाइयां छू लेगा।
मतदाता दिवस की प्रतिज्ञा
राष्ट्रीय मतदाता दिवस की प्रतिज्ञा इस प्रकार है, 'हम, भारत के नागरिक, लोकतंत्र में अपने विश्वास रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की मर्यादा को बनाए रखेंगे तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए, निर्भीक होकर धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचन में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।'
चुनाव आयोग ने कई सुविधाएं दीं
इस बार चुनाव आयोग ने कई सुविधाएं हमें दी हैं। कई ऐप बनाए हैं, के जरिए हम अपनी शिकायतें उच्च अधिकारी तक पहुंचा सकते हैं और अपनी समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं। कोई बीमार हो, बुजुर्ग हो या दिव्यांग, सभी की भागीदारी मतदान वाले दिन हो, इसके लिए चुनाव आयोग ने इन लोगों के लिए घर बैठे मतदान की व्यवस्था भी की है।
लेखिका सोनी त्रिपाठी जानी-मानी समाजसेवी, काउंसलर और साइबर क्राइम एक्सपर्ट हैं
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