मुकेश उपाध्याय
फ़िरोज़ाबाद, 19 फरवरी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में तीसरे चरण का मतदान कल होने जा रहा है। इस चरण में फिरोजाबाद की 5 विधानसभा सीटों टूंडला, फ़िरोज़ाबाद, शिकोहाबाद, सिरसागंज और जसराना पर भी मतदान होना है। अब तक जो हालात बन रहे हैं और प्रदेश में जिस तरह भाजपा और सपा के बीच भिड़ंत दिखाई दे रही है, उसमें जसराना विधानसभा सीट इस बार उलटफेर कर सकती है। सपा को यह सीट वापस मिल सकती है।
जसराना से भाजपा ने जिलाध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह लोधी को टिकट दिया है। यहां से वर्तमान भाजपा विधायक रामगोपाल उर्फ पप्पू लोधी का टिकट काटा गया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने सचिन यादव को, बसपा ने सूर्य प्रताप सिंह को, कांग्रेस ने विजय नाथ सिंह को और आम आदमी पार्टी ने अमित यादव को टिकट दी है। हालांकि सीधा मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही दिखाई दे रहा है।
लगभग 3.40 लाख मतदाताओं वाली जसराना विधानसभा सीट पर यादव वोटरों का दबदबा है। यहां यादव करीब 1.30 लाख हैं। लोधी वोटर भी निर्णायक हैं। इनकी संख्या 1.05 लाख है।
अतीत की बात करें तो जसराना विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का ही दबदबा रहा है। मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार रामवीर यादव इस विधानसभा सीट से चार बार विधायक रहे हैं। 1993 से लेकर 2002 के चुनाव तक लगातार तीन बार जीते। वर्ष 2007 का चुनाव निर्दलीय रामप्रकाश यादव से हार गए थे लेकिन 2012 में वह फिर जीतने में सफल रहे।
निवर्तमान विधायक होने के बावजूद 2017 में सपा से टिकट नहीं मिला तो वह लोकदल के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन चौथे नंबर पर खिसक गए। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामगोपाल लोधी ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार शिवप्रताप सिंह को 20328 वोटों के मार्जिन से हराया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में जसराना में कुल 44.89 प्रतिशत वोट पड़े थे। रामगोपाल लोधी को रेकॉर्ड तोड़ 1,03,426 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के शिव प्रताप सिंह को 83,098 वोट मिले थे।
अन्य पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस अब तक पांच बार जीत चुकी है। आखिरी बार 1989 में जीती थी। फिलहाल कांग्रेस की यहां कोई अच्छी स्थिति नहीं दिख रही।मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी यहां अब तक खाता नहीं खोल पाई है।
जसराना विधानसभा पर जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो इस विधानसभा में पाल, बघेल और यादव जाति के मतदाता अधिक संख्या में हैं। वहीं अन्य पिछड़ी जाति के मतदाता भी इस विधानसभा पर निर्णायक की भूमिका में रहते हैं।
सपा क्यों दिख रही है आगे
सपा ने इस सीट पर चार बार विधायक रहे रामवीर सिंह के बड़े भाई के बेटे इंजीनियर सचिन यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। सचिन की छवि क्षेत्र में अच्छी है। सचिन यादव अमेरिका से इंजीनियरिंग करके आए हैं और 3 साल से क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले 5 सालों में भाजपा के रहते यादवों को सम्मान नहीं मिल पाया। यादव वोटर इस बार सपा के पक्ष में दिख रहे हैं। पिछली बार इस वोट बैंक में भाजपा ने सेंध लगाई थी।
दूसरे 2017 में समाजवादी सरकार के खिलाफ माहौल था। मुलायम सिंह यादव, शिवपाल और अखिलेश यादव के घरेलू झगड़े ने जनता के बीच छवि खराब की थी। इस बार ऐसा कुछ नहीं। अखिलेश यादव पूरी ताकत से योगी आदित्यनाथ के सामने डटे हुए हैं। हां एक बात और उल्लेखनीय है कि इस बार आगरा और फिरोजाबाद, इन दोनों जगहों पर समाजवादी पार्टी का जो भी प्रत्याशी जीतेगा, अगर सपा सरकार आई तो उसका मंत्री बनना निश्चित है।
दूसरी ओर भाजपा ने क्षेत्र में ज्यादा कुछ किया नहीं। सिर्फ मोदी और योगी के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं। भाजपा ना तो क्षेत्र के विकास पर बात कर रही है, ना महंगाई पर और न रोजगार पर। भाजपा के पास सिर्फ एक मुद्दा है अखिलेश सरकार और समाजवादी पार्टी को बुरा बताना। अपनी अच्छाई से ज्यादा वह सिर्फ दूसरों की खामियां गिनाने में लगे हैं। ऐसे में जसराना के मतदाता भाजपा को सबक सिखा सकते हैं।
दिक्कत कहां हो सकती है
समाजवादी पार्टी के लिए उनके पूर्व प्रत्याशी सर दर्द बन सकते हैं। दरअसल सपा ने 2017 में शिव प्रताप सिंह को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे। जिसके बाद वह लगातार 5 साल से क्षेत्र में जनसंपर्क करने में लगे हुए थे। इस बार उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी फिर से उन पर भरोसा जताएगी और उन्हें यहां से टिकट देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शिव प्रताप सिंह इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और जनता की मानें तो वह सपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। बहराल यादव वोट बैंक सपा के आपके साथ ही दिख रहा है।
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