अमित शाह ने किया मायावती का गुणगान, आखिर क्या हैं संकेत


क्या भाजपा मान रही, अकेले

 दम पर सत्ता अब हो रही दूर


 मुकेश उपाध्याय
आगरा, 22 फरवरी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन दौर का मतदान हो चुका है और चौथे दौर में कल मतदान होगा। बुधवार को नौ जिलों की 59 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इस बार चुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। यहां तक कि अब सपा को आगे भी माना जा रहा है।
 चौथे दौर के मतदान से ठीक पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने कहा है कि मायावती ने अपनी प्रासंगिकता नहीं खोई है। उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में वोट मिलेगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जाटव वोट बसपा के साथ रहा है। अब इस बात के अनेक अर्थ निकाले जा रहे हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि चुनाव में लोग अपने विपक्षी के लिए ऐसी बातें नहीं करते। तो क्या यह माना जाए कि भाजपा ने यह मान लिया है कि वह अपने बूते पर सरकार नहीं बनाने जा रही। मायावती के प्रति नरम रुख रखकर वह अपनी सरकार के लिए मायावती से समर्थन लेने का द्वार खोलने जा रही है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में जारी विधानसभा चुनाव के बीच सत्ताधारी भाजपा मायावती और उनकी पार्टी बसपा पर नरम रुख इख्तियार करती नजर आ रही है। दरअसल इस बार के चुनावों में  उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती के बारे में कहा जा रहा है कि वे ज्यादा अक्रामक होकर चुनावी मैदान में नहीं उतरी हैं। 
टीवी चैनल न्यूज18 को दिए एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, "बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है। मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा। मुझे नहीं पता कि यह कितनी सीटों में तब्दील होगा लेकिन बसपा को वोट मिलेगा। शाह ने कहा कि मायावती की जमीन पर अपनी पकड़ है। 
उन्होंने कहा, "जाटव वोट बैंक मायावती के साथ जाएगा। मुस्लिम वोट भी बड़ी मात्रा में मायावती के साथ जाएगा।" जब शाह से ये पूछा गया कि क्या इससे भाजपा को फायदा होगा तो उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि इससे भाजपा को फायदा होगा या नुकसान। यह उस सीट पर निर्भर करता है। लेकिन, यह सच नहीं है कि मायावती का रेलवेंस खत्म हो चुका है।
 यानी कि अमित शाह बचे हुए चुनावी दौर में मुसलमानों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वह सपा को वोट ना दें। मायावती अपने वोट बैंक के सहारे सपा से अधिक मजबूत स्थिति में हैं। यानी कि साफ है कि भाजपा मायावती के वोट बैंक में कोई भी सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो पायी है। ऐसे में लगता है कि यदि भाजपा पूर्ण रूप से सत्ता में नहीं आई तो उसे दूसरी पार्टियों से समर्थन की जरूरत पड़ सकती है। यह काम मायावती के जरिए पूरा सकता है।
 अमित शाह भाजपा के कोई छोटे-मोटे नेता नहीं। देश के गृह मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष हैं। भाजपा में नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर की हैसियत से भी हैं। मायावती पर उनके प्रवचन और गुणगान यूं ही नहीं हो सकते।
 समाजवादी पार्टी जिस तरीके से भाजपा को टक्कर दे रही है, उसे लेकर भाजपा अपनी जीत को लेकर काफी सशंकित है। खैर 10 मार्च को सारी स्थिति पता चल जाएगी लेकिन अभी तक की स्थिति सपा के लिए काफी आरामदायक है। अमित शाह के बयान के बाद अखिलेश यादव की पार्टी और मजबूती से चुनाव लड़ेगी।


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