130 करोड़ की मार्केट के बाद भी बेरोजगारी हमारी बड़ी कमजोरी



 -जिस दिन हम मान लेंगे कि कोई काम छोटा नहीं, उस दिन देश में कोई बेरोजगार नहीं रहेगा
-फेयर ट्रेड फोरम इंडिया का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का हुआ समापन

न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 11 नवम्बर। 130 करोड़ के बड़े मार्केट के बाद भी हमारे देश में बेरोजगारी हमारी कमजोरी को दर्शाता है, क्योंकि हम काम को छोटा-बड़ा समझते हैं। पढ़ लिख कर सिर्फ मेज कुर्सी पर बैठकर काम करना चाहते हैं। जिस दिन हम मान लेंगे कि कोई काम छोटा नहीं, उस दिन देश में कोई बेरोजगार नहीं रहेगा। यह कहना था शहर के वरिष्ठ व्यवसायी पूरन डावर का। वह होटल क्लार्क्स शिराज में फेयर ट्रेड फोरम इंडिया के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। 
उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री जीविका है लेकिन जीवन पर्यावरण है। इसलिए पर्यावरण का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है। लेकिन इंडस्ट्री को बेवजह विलेन बना दिया जाता है। सरकार एक सड़क बनाती है और उसे तोड़ने वाले 10 सरकारी विभाग खड़े हो जाते हैं। एक-एक सड़क वर्ष में पांच-पांच बार टूटती है।
हालांकि हम वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं। हम सोचते थे कि भारत का वैक्सीनेशन 12-15 वर्ष लग जाएंगे, लेकिन 78 प्रतिशत एक वर्ष में सम्भव हुआ। 
व्यवसायी रजत अस्थाना ने व्यवसाय को बढ़ाने कि टिप्स दिए। मुख्य वक्ता प्रो. अरुणोदय वाजपेयी विभागाध्यक्ष राजनीतिक शास्त्र आगरा कॉलेज आगरा ने कहा कि हमारे विकासात्मक कार्यों से पर्यावरण में अत्यधिक क्षरण हुआ है। मानव की छेड़खानी से ही आज पर्यावरण प्रदूषण विकराल रूप ले लिया है जो अम्ल वर्षा, ग्रीन हाउस प्रभाव, बाढ़, भूकंप, ओजोन परत में छेद, महामारी तथा ग्लेशियर का पिघलना आदि रूपों में प्रकट हो रहा है। 
डिग्निटी संस्था से जुड़ी गुंजन जैन ने बताया कि सरकारी योजनाएं हस्तशिल्पियों तक पहुंच ही नहीं पाती। इसके मुख्य कारणों में कारीगरों को पता ही नहीं होता कि उनके लिए कोई योजना चल रही है। दूसरा कारण जिन्हें पता है वह योजनाओं का लाभ पाने की औपचारिकता पूरी नहीं कर पाते। कई बार सरकारी योजनाएं तो जारी हो जाती हैं, लेकिन उसके लिए फंड नहीं होता। वहीं अक्सर दूसरी लॉबी के लोग जैसे बुनकरों का लाभ मिल सेक्टर वाले उठा ले जाते हैं।
फोरम के अध्यक्ष पंचाक्श्रम ने धन्यवाद ज्ञापन व उपाध्यक्ष राजेश कुमार ने योजन समिति के सदस्यों को पुरस्कृत किया। संचालन अभिषेक गुप्ता ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से अध्यक्ष पंचाक्श्रम, उपाध्यक्ष राजेश कुमार, सचिव अनुराग मित्तल, कोषाध्यक्ष मून शर्मा, स्मृति केडिया, पॉल थॉमस, कमल किशोर, एससी मित्तल, जॉनी जोसफ, रणवीर सिसौदिया, निखिल दा, अमरीष अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

छत्ते के मोम से बना रहे लिप 
बाम व इकोफ्रेंडली फॉयल
लास्ट फारेस्ट संस्था, तमिलनाडु से जुड़े मैथ्यू जॉन ऊंटी की पहाड़ियों में आदिवासी लोगों के साथ शहद निकलना व मधुमक्खी के छत्ते के मोम से साबुन, लिप बाम, इकोफ्रेन्डली फॉयल बनाने का काम कर रहे हैं। जिसकी डिमांड अब भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। मैथ्यू बताते हैं कि लोग टिफिन में खाने को गरम बनाए रखने के लिए एल्यूमिनियम फॉयल का प्रयोग करते हैं। हमने मधुमक्खी के छत्ते के मॉम से सादा कागज का इकोफ्रेंडली फॉयल बनाया है, जिसे लोग लगातार लगभग 50 दिन तक प्रयोग कर सकते हैं। बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है।

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