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आगरा, 13 जनवरी। आमतौर पर मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती है, लेकिन इस साल सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी रात 8 बजकर 43 मिनट पर होगा. इसलिए उदयातिथि के अनुसार अगले दिन यानी 15 जनवरी को मकर संक्राति मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति पर इस बार महायोग बन रहा है। इस दिन सूर्य, शनि और शुक्र मकर राशि में ही रहेंगे, जिससे त्रिग्रही योग बन रहा है। साथ ही चित्रा नक्षत्र, शश योग सुकर्मा योग, वाशी योग, सुनफा योग और बालव करण योग भी बनेगा। ज्योतिष के अनुसार इस योग से कई राशि वाले लोगों की किस्मत चमका जाएगी। वहीं इन योगों में शुभ कार्य, दान-पुण्य, सूर्य साधना, तीर्थ यात्रा, भागवत महापुराण का पाठ आदि करना बहुत ही उत्तम होगा, इससे किस्मत के बंद दरवाजे भी खुल जाएंगे।
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें। इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें।
रविवार को पड़ने के कारण विशेष लाभकारी
मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें। इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें।
रविवार को पड़ने के कारण विशेष लाभकारी
मकर संक्रांति रविवार के दिन पड़ रही है। ऐसे में सूर्य की संक्रांति विशेष लाभकारी होती है, क्योंकि मकर संक्रांति पर्व सूर्य उपासना से जुड़ा हुआ है और रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है।
इस दिन सूर्य का प्रवेश धनु राशि से मकर राशि में होता है. मकर राशि यानि शनि जो स्वयं सूर्य के ही पुत्र हैं. सूर्य के पुत्र होने के नाते सूर्य भी पुत्र के घर में थोड़े शांत जरूर हो जाते हैं. सूर्य को ग्रहों के राजा है और वे शनि के पिता भी हैं. वह अपने पुत्र यानि शनिदेव के घर मकर राशि में प्रवेश कर रहे है।
सूर्य को अर्घ्य का विशेष महत्व
स्कंद पुराण में भी कहा गया है कि, जो व्यक्ति सूर्योदय पर सूर्य को जल अर्पित किए बिना भोजन ग्रहण करता है वह भोजन नहीं पाप को ग्रहण कर रहा है सूर्य को जल देने से सूर्य हमें तेज देता हैं, हमें नई ऊर्जा प्रदान करता है. साथ ही हमारी हड्डी, नैत्र, केल्शियम इन सभी के कारक ग्रह सूर्य ही हैं, सूर्य हमें आत्मविश्वास, ऊर्जा व एकाग्रता प्रदान करते हैं।
इस दिन सूर्य का प्रवेश धनु राशि से मकर राशि में होता है. मकर राशि यानि शनि जो स्वयं सूर्य के ही पुत्र हैं. सूर्य के पुत्र होने के नाते सूर्य भी पुत्र के घर में थोड़े शांत जरूर हो जाते हैं. सूर्य को ग्रहों के राजा है और वे शनि के पिता भी हैं. वह अपने पुत्र यानि शनिदेव के घर मकर राशि में प्रवेश कर रहे है।
सूर्य को अर्घ्य का विशेष महत्व
स्कंद पुराण में भी कहा गया है कि, जो व्यक्ति सूर्योदय पर सूर्य को जल अर्पित किए बिना भोजन ग्रहण करता है वह भोजन नहीं पाप को ग्रहण कर रहा है सूर्य को जल देने से सूर्य हमें तेज देता हैं, हमें नई ऊर्जा प्रदान करता है. साथ ही हमारी हड्डी, नैत्र, केल्शियम इन सभी के कारक ग्रह सूर्य ही हैं, सूर्य हमें आत्मविश्वास, ऊर्जा व एकाग्रता प्रदान करते हैं।
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