मुकेश उपाध्याय (न्यूज़ स्ट्रोक)
मुंबई, 29 जनवरी। बॉक्स ऑफिस पर शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम की प्रमुख भूमिकाओं से सजी फिल्म पठान (Pathaan) कमाई की दृष्टि से सुपरहिट बन गई है। हालांकि फिल्म पूरी तरह दो कौड़ी की है। Pathaan की कहानी में कोई नयापन नहीं है। इसे विवादों की बैसाखी मिली। इस बैसाखी पर टिककर फिल्म सुपरहिट हो गई। हकले भाई यानी शाहरुख खान के अंदर मौजूद एक्टिंग की खान पूरी तरह खत्म हो चुकी है। Pathaan पूरी तरह निर्देशक सिद्धार्थ आनंद की फिल्म है। एक्टिंग नहीं, एक्शन ज्यादा हावी है। निर्देशन की दृष्टि से सिद्धार्थ आनंद रोहित शेट्टी साबित होते दिखते हैं इस फिल्म में। उन्होंने जबरदस्त एक्शन का डोज़ दिया गया है जो शाहरुख को बचाने में कामयाब रहता है।
पिछले कुछ समय से शाहरुख खान की हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर रही थी। यहां भी शाहरुख खान एक्टिंग के मामले में कुछ खास नहीं कर पाते। फिल्म में दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम और कुछ देर के लिए आए सलमान खान शाहरुख खान का सहारा बनते हैं।
रणवीर सिंह की बीवी दीपिका पादुकोण को Pathaan में हॉट केक की तरह पेश किया गया है। दूसरे रिलीज से पहले हुए विवाद फिल्म के सबसे बड़े हीरो साबित हुए। फिल्म से अगर विवाद ना जुड़ा होता और देशभर में इसका विरोध ना होता तो यह फिल्म शाहरुख की सबसे फ्लॉप फिल्म साबित होती। सलमान की ट्यूबलाइट की तरह। यानी कुल मिलाकर फिल्म की रिलीज से पहले हुए विवाद यहां सुपरस्टार साबित हुए।
फिल्म की कहानी तो वही घिसी -पिटी है, जहां देशभक्त एजेंट अपने वतन को बचाने के लिए कटिबद्ध है, मगर एक्शन और स्पेशल इफेक्ट्स के मामले में सिद्धार्थ ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। बॉलीवुड की इस मूवी में 'जेम्स बॉन्ड', 'मिशन इंपॉसिबल' और मार्वल की फिल्मों सरीखा इम्पैक्ट देखने को मिलता है।
फिल्म का सरप्राइज एलिमेंट हैं जिम के रूप में जॉन अब्राहम के किरदार की माउंटिंग। बॉलीवुड की फिल्मों में इतना मजबूत और वेल क्राफ्टेड विलेन कदाचित पहली बार देखने को मिल रहा है। उसे हीरो से कहीं भी कमतर नहीं दिखाया गया है। जॉन ने भी अपने किरदार में जान लगा दी है। वह शाहरुख खान पर भारी पड़े हैं। 'टाइगर' यानी सलमान खान की 20 मिनट की एंट्री फिल्म को एक अलग लेवल पर ले जाती है। सलमान की मौजूदगी से फिल्म को बहुत फायदा मिला है।
भारत और पाकिस्तान के दो एजेंटों की प्रेम कहानी ‘टाइगर’ सीरीज की फिल्मों में चल रही है। यहां Pathaan और रुबाई की एक और रूमानी दास्तां बन रही है। दोनों मिलते हैं। पठान को धोखा मिलता है लेकिन फिर भी दोनों मिलते हैं और एक ऐसे आतंकवादी हमले को टालने में लग जाते हैं जिसे अंजाम देने के लिए आईएसआई एजेंट के मुताबिक उसके देश की सरकार भी कभी मंजूरी नहीं देगी। यूं लगता है कि वेद प्रकाश शर्मा या सुरेंद्र मोहन पाठक के किसी उपन्यास के दो एजेंट लुगदी से निकलकर आईमैक्स के बड़े परदे पर प्रकट हो गए हैं।
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