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योगेंद्र उपाध्याय के सामने सपा ने उतारा बेहद कमजोर प्रत्याशी


👉दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने व्यक्त की राय

न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 18 जनवरी । समाजवादी पार्टी ने आगरा दक्षिण विधान सभा क्षेत्र  में मुस्लिम कार्ड खेला है। भाजपा ने यहां अपने निवर्तमान विधायक योगेंद्र उपाध्याय पर ही विश्वास जताया है। कांग्रेस ने अनुज शर्मा को उतारा है वहीं बहुजन समाज पार्टी ने रवि भारद्वाज को अपना उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर चाल तो चोखी चली है लेकिन व्यक्तित्व के तौर पर देखें तो रिजवान रईसुद्दीन प्रिंस के रूप में समाजवादी पार्टी ने एक हल्का चेहरा सामने किया है। यह सब मानना है आगरा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का। सभी इस बात पर जरूर सहमत हैं कि यहां सीधी टक्कर बसपा और भाजपा के बीच होगी। 
रिजवान की समाज में अभी अपनी कोई अपनी पहचान नहीं है। 35 वर्षीय रिजवान जूता व्यवसाई हैं। उनके पिता रईसुद्दीन कुरैशी वर्ष 1999 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वह पांच बार सपा शहर अध्यक्ष व 2012 से 13 तक प्रदेश सचिव रहे।
पिता की सेवाओं का बेटे को समाजवादी पार्टी ने इनाम तो दिया है लेकिन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के तमाम मुस्लिम लोगों का मानना है कि रिजवान से बेहतर लोग पार्टी में थे। योगेंद्र उपाध्याय के सामने किसी कद्दावर मुस्लिम को उतारा जाना चाहिए था। 'न्यूज़ स्ट्रोक' से बातचीत में समाजवादी पार्टी के समर्थक विलालुद्दीन कहते है कि पार्टी के अंदर कई ऐसे युवा है जो मुस्लिम समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं, उनको टिकट दिया जाना चाहिए था।
मोहम्मद इरशाद कहते हैं, 'पार्टी की सोच इतनी रही है कि बाकी सभी पार्टियों ने ब्राह्मण वर्ग से प्रत्याशी उतारे हैं। वह आपस में वोट काटेंगे और इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मिलेगा। सोच सही हो सकती है लेकिन यदि प्रत्याशी और भारी-भरकम होता तो उसका फायदा ज्यादा मिलता।  उमर अली कहते हैं कि रिजवान को पार्टी में और आगे पद दिया जा सकता था लेकिन प्रत्याशी बनाने का फैसला शायद सही साबित न हो।
समीर खान का मानना है कि रिजवान को मुस्लिमों का एक तरफा वोट मिल पाएगा, उसकी संभावना काफी कम है। दूसरी पार्टी भी वोट काटेंगी।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि योगेंद्र उपाध्याय की हर वर्ग में पैठ है। विधायक बनने के बाद उन्होंने मुस्लिम समाज में भी अपनी जड़ मजबूत की है। इसके अलावा यह भी मानना है कि यदि भाजपा सत्ता में वापस आई तो योगेंद्र उपाध्याय को मंत्री पद भी मिल सकता है। इस बार जीतने पर यह उनकी तीसरी जीत होगी। इस मामले में उपाध्याय अन्य सभी प्रत्याशियों पर भारी पड़ते हैं।
योगेंद्र उपाध्याय ने क्षेत्र में काम भी किया है। कई मुस्लिम युवा भी उनके साथ जुड़े हुए हैं। नाम न छापने की शर्त पर समाजवादी पार्टी के ही एक युवा नेता ने कहा कि रिजवान का कोई जनाधार नहीं है।
फुलट्टी बाजार में लंबे समय से परचून की दुकान चलाने वाले रमेश चंद शर्मा कहते हैं कि सपा के अलावा अन्य सभी दलों का ब्राह्मण प्रत्याशी होने के बावजूद योगेंद्र उपाध्याय उनमें सबसे आगे हैं। क्षेत्र के परंपरागत भाजपा वोटरों के अलावा युवा वर्ग भाजपा से बड़ी संख्या में जुड़ा है। रमेश चंद शर्मा के बेटे गौरव शर्मा कहते हैं कि भाजपा को वोट कहीं नहीं गया। उसमें बढ़ोतरी ही हुई है। हमारी नजर सपा प्रत्याशी पर थी। सपा ने जो प्रत्याशी उतारा है उसने योगेंद्र उपाध्याय की राह आसान कर दी है। मुस्लिम वोट कांग्रेस को भी मिलेगा और बहुजन समाज पार्टी को भी। कुछ प्रतिशत सही लेकिन भाजपा को भी मुस्लिम वोट मिलेगा।
फुलट्टी के नजदीक पाय चौकी पर एक पान की दुकान पर मौजूद रहीस भाई कहते हैं कि वह अपना वोट भाजपा को दे रहे हैं। योगेंद्र उपाध्याय के मुकाबले अन्य प्रत्याशियों पर वे कहते हैं कि कोई भी उनकी टक्कर में नहीं है। सपा प्रत्याशी पर रईस भाई ने कहा कि सपा चाहती तो एक अच्छा उम्मीदवार ला सकती थी लेकिन इस बार बेहद कमजोर प्रत्याशी उतारा है।
खबरें यह भी मिल रही हैं कि क्षेत्र में  सपा प्रत्याशी का विरोध भी शुरू हो गया है। कुरैशी और गैर कुरैशी में बंट रहा है मुस्लिम समाज। गैर कुरैशी बता रहे सपा की भाजपा को जिताने की साजिश जबकि कुरैशी दे रहे प्रिंस का साथ। सपा के फैसले से भाजपा रणनीतिकार हो रहे मकसद में कामयाब।

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