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नई दिल्ली, 25 फरवरी । रूस के खिलाफ जंग में अब युक्रेन पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया है। कोई भी देश सीधे तौर पर उसकी सहायता के लिए तैयार नहीं है। अमेरिका समेत नाटो के सभी देश सीधे तौर पर पुतिन से टकराने से डर रहे हैं।
खुद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने वलोडिमिर जेलेंस्की ने ट्वीट कर कहा कि पूरी दुनिया सिर्फ दूर से देख रही है लेकिन हम इस लड़ाई को अकेले लड़ रहे हैं। मुसीबत में सभी ने साथ छोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि वे कीव में हैं और वहां रूसी सेना दाखिल हो गई है।। उन्होंने आशंका जताई है कि अगले 96 घंटे यानी 4 दिन में कीव पर रूस का कब्जा हो जाएगा।
रूसी सेना किस कदर तेजी से मारकाट बचा रही है, यह एक वीडियो से जाहिर हो रहा है। दुनिया भर में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें रूसी युद्धपोत पर मौजूद रूसी जवानों ने सरेंडर से मना करने पर यूक्रेन के 13 जवानों को मार गिराया।
इस बीच सरकार ने पूरी सेना को युद्ध में उतारने का ऐलान किया है। इसके लिए यूक्रेन सरकार ने 18 से 60 साल के यूक्रेनी पुरुषों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि यूक्रेन ने अपने 10 हजार नागरिकों को मुकाबले के लिए राइफलें दी हैं। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से किए गए ट्वीट में लिखा गया है कि सेना में शामिल होने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है, भले ही वो नाबालिग ही क्यों न हों। सभी को सेना में भर्ती किया जा रहा है। सिर्फ पहचान पत्र लाइए और भर्ती हो जाइए।
आखिर क्यों पीछे हट रहीं दुनिया की सारी ताकतें
सवाल उठता है कि, अमेरिकी समर्थन वाला यूक्रेन इस जंग में इतना अलग-थलग क्यों पड़ गया? दरअसल रूस के राष्ट्रपति पुतिन से टकराना किसी भी देश के लिए आसान नहीं है। यह बात अमेरिका भी जानता है। यही कारण है कि अमेरिका ने सीधे तौर पर कहा दिया कि वह अपनी सेना यूक्रेन में नहीं भेजेंगे।
रूस पर सीधे हमले से यूरोपीय देश पीछे हट रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है, इन देशों की रूस पर निर्भरता। दरअसल, यूरोपीय देश ऊर्जा के लिए बहुत हद तक रूस पर निर्भर हैं। यूरोपीय संघ के कई देश, जो नाटो सदस्य भी हैं अपनी प्राकृतिक गैस आपूर्ति का 40 फीसदी हिस्सा रूस से प्राप्त करते हैं। ऐसे में अगर रूस गैस और कच्चे तेल की सप्लाई रोक देता है, तो यूरोप बड़े ऊर्जा संकट की कगार पर खड़ा हो जाएगा। वहीं रूस अपनी आर्थिक क्षमता काफी मजबूत कर चुका है इसलिए तत्काल कोई असर नहीं होने वाला। रूस पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरा है।
बेहद शक्तिशाली रूस
रूस परमाणु शक्ति से सम्पन्न राष्ट्र है। इसके अलावा उसके पास हथियारों को बड़ा जखीरा है। दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक रूस के पास है। वहीं अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी से रूस किसी को भी धूल चटाने की ताकत रखता है। पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि यूक्रेन मसले में किसी ने भी दखल दी तो वह इतिहास का सबसे बुरा अंजाम देखेगा। इसलिए अमेरिका व नाटो सदस्य राष्ट्र जानते हैं कि पुतिन से सीधे टकराने का मतलब भारी तबाही होगी।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि यूक्रेन पर सैनिक कार्रवाई का उद्देश्य यूक्रेन के लोगों को दमन से मुक्त कराना है, ताकि यूक्रेन के लोग अपना भविष्य निर्धारित कर सकें। यूक्रेन की ओर से अब शांति का प्रस्ताव भेजा गया है और कहा गया है कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं। इस पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेन की सेना द्वारा हथियार डालने के बाद ही हम बातचीत के लिए तैयार हैं।
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