ब्यूरोक्रेट्स भी शहर की बेहतर डिजाइनिंग में निभाएं भूमिका

भवन निर्माण एवं डिजाइन प्रदर्शनी को देखते आर्किटेक्ट्स एवं इंटीरियर डिजाइनर्स

 - आर्किटेक्ट एसोसिएशन की आरकॉन एक्सपो एंड सम्मिट का समापन
- आर्किटेक्चर बियोंड डिजाइन और आर्किटेक्चर के नये आयाम पर विचार 
- 50 साल में बदल गईं परिस्थितियां, आर्किटेक्चर एक्ट में सुधार जरूरी


न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 20 दिसंबर। आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन द्वारा टोटो सलूजा सेनेटरी स्टोर के साथ होटल क्लार्क्स शिराज़ में आयोजित चतुर्थ दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस ‘आरकोन एक्सपो एंड सम्मिट-2022’ के दूसरे दिन मंगलवार को ‘ब्रेकिंग द बैरियर’ आर्किटेक्चर बियोंड डिजाइन और चेंजिंग ट्रेंड्स इन आर्किटेक्चर पर विशेषज्ञों ने विचार साझा किए। 
दिल्ली के विकास पवार ने कहा कि अब शहरों की बेहतर डिजाइनिंग के लिए आर्किटेक्ट्स के साथ आम नागरिकों और ब्यूरोक्रेट्स की भूमिका भी जरूरी है। आम नागरिक जब जागरूक होंगे तो वे समझ सकेंगे कि हवा और प्रकाश की घर में जरूरत है। तब वे घर की खिड़कियों को पैक नहीं करेंगे। इसी तरह जागरूक ब्यूरोक्रेट्स अर्बन डिजाइनिंग में सार्वजनिक स्थानों को अधिक उपयोगी, बेहतर और सुविधाजनक बना सकेंगे। नोएडा के वसंत पकीरीसामी ने कहा कि आज के आर्किटेक्ट केवल इमारतों के नक्शे मात्र ही नहीं बना रहे हैं, बल्कि इससे बढक़र वे इमारत के भीतर फर्नीचर, लाइट्स, प्रोडक्ट्स, वॉल पेंटिंग्स आदि को भी एक बेहतर आकार देने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। 
जेंडर एंड स्पेस पर काम कर रहीं दिल्ली की ऋति मंडल ने कहा कि शहर निरंतर बदल रहे हैं, इसलिए इनकी निरंतर मैपिंग और उसके अनुसार अपग्रेडेशन जरूरी है। शहरों की डिजाइनिंग और प्लानिंग करते वक्त वृद्धों, बच्चों, दिव्यांगों और औरतों का ख्याल रखकर फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलप करना चाहिए। खासतौर से लेडीज के लिए टॉयलेट और उनकी सुरक्षा का खास ख्याल रखना चाहिए। आगरा के अनुराग खंडेलवाल ने भवन निर्माण में लकड़ी का उपयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि निर्माण में कंक्रीट और स्टील का उपयोग लगभग 15 फीसदी तक कार्बन उत्सर्जित करता है, जबकि लकड़ी का उपयोग कार्बन को सोख कर पर्यावरण में कार्बन को कम करता है।
आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष समीर गुप्ता विभव ने कहा कि वर्ष 1972 में बने आर्किटेक्ट एक्ट को 50 साल पूरे हो गए हैं। इस कालखंड में परिस्थितियां बहुत बदल गई हैं। लिहाजा अब इस एक्ट में सुधार जरूरी हैं। पैरामेट्रिक आर्किटेक्चर के विशेषज्ञ दिल्ली के मनीष गुलाटी ने कहा कि आज जरूरत है कि हम ट्रेडिशनल आर्किटेक्चर वाली सोच को मॉडर्नाइज रूप प्रदान करके पैरामेट्रिक आर्किटेक्चर तैयार करें। ताजमहल की तरह स्ट्रक्चर के एक-एक हिस्से को सोच समझकर तराशें। हर चीज सोच समझकर डिजाइन करें। एक साथ नहीं, टुकड़ों-टुकड़ों में इमारत बनाएं। आर्किटेक्चर के साथ क्राफ्ट और तकनीकी का समझदारी पूर्ण सुंदर समावेश करें।

समापन पर न्यूज़ लेटर जारी करते आर्किटेक्ट एसोसिएशन आगरा के प्रेसिडेंट समीर गुप्ता विभव, अमित जुनेजा, अनुराग खंडेलवाल, यशवीर सिंह एवं अन्य।


एक्सपो के समापन पर आर्किटेक्ट एसोसिएशन आगरा द्वारा अनुराग खंडेलवाल के संपादन में प्रकाशित एसोसिएशन का न्यूजलेटर विमोचन कर जारी किया गया।  इस दौरान अध्यक्ष समीर गुप्ता विभव, सचिव अमित जुनेजा, कोषाध्यक्ष अमित बघेल, यशवीर सिंह, सुनील चतुर्वेदी, सिद्धार्थ शर्मा, अजय शर्मा, अवंतिका शर्मा, अनुराग खंडेलवाल, जसप्रीत सिंह, राहुल गुप्ता, प्रीतम सिंह, अनुज सारस्वत, राजेश कुमार, दक्ष शर्मा, अनुभव दीक्षित, रजनी जुनेजा, सुरुचि शर्मा और पार्थसारथी चक्रवर्ती (गुरुग्राम) भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे। श्रद्धा अरोरा और श्रुति बंसल ने संचालन किया। 

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