आत्म निरीक्षण कर जानें हमारी आत्मा पर कितने दाग-संत राजिन्दर सिंह जी

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज


आत्म-निरीक्षण का मतलब स्वयं की जांच करना है। हम हर रोज़ अपने विचारों, वचनों और कार्यों का निरीक्षण करने से यह जान सकते हैं कि हम कहां खड़े हैं? हम पाएंगे कि हमारी आत्मा पर अनेकों दाग हैं जिन्हें हमें साफ करना है। हमारे मन में चौबीसों घंटे उल्टे विचार आते रहते हैं जिससे कि हम दिन भर उल्टे वचन और कार्य करते हैं। ये सब हमारी हर क्षेत्र की प्रगति में सबसे बड़ी रुकावट है। क्रोध, झूठ, वासना, लालच और अहम यह सभी अवगुण हमारे मन में हर समय आंधी की तरह चलते रहते हैं। यदि हम इन नकारात्मक विचारों को नियंत्रण में ला सकें तो हमारा मन स्थिर और शांत हो जाएगा।
इन अवगुणों को दूर करने का पहला कदम यह है कि हमें अपनी कमजोरियों का अहसास हो। तब हम अपने विचारों, वचनों और कार्यों पर नज़र रखेंगे और उन पर नियंत्रण रखने की कोशिश करेंगे। जिस प्रकार हम अध्यापक के पास जाते हैं तो उनसे कुछ पढ़ने से पहले वे हमारी बुद्धिमता (intelligence) की जांच करते हैं। ठीक इसी प्रकार जब हम किसी पूर्ण गुरु के पास जाते हैं तो वे हमारे मन के अवगुणों को भांप लेते हैं और इसके साथ-साथ वे हमें इन अवगुणों को दूरने करने के उपाय भी बताते हैं कि हमें अपनी गलतियों की समीक्षा करनी चाहिये। जिसका अर्थ अपने आपको शीशे में देखना है ताकि हमें हमारी त्रुटियों का पता लगे, जिससे कि हम धीरे-धीरे उन पर विजय प्राप्त कर सकें।
हमें यह समीक्षा स्वयं को कोसने के लिए नहीं बल्कि स्वयं को बेहतर बनाने के लिए करनी चाहिये। यह निराशा और निरादर का कारण नहीं बन जानी चाहिये, बल्कि जहां -जहां हम कमजोर हैं, वहां हम बेहतर बनाकर हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी मददगार होनी चाहिये।
ध्यान-अभ्यास के द्वारा हम सद्गुणों के स्त्रोत के संपर्क में आते हैं और हमारे अवगुणों के सुधार की प्रक्रिया और तेज हो जाती है। प्रभु की निर्मल करने वाली प्रेम की धारा हमारे अवगुणों को हटाने में सहायक होती है। इस प्रकार हमारा जीवन संपूर्ण शांति, आनंद और प्रेम से भर जाता है।

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