-न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के 70वें अधिवेशन में तीसरे दिन 116 से अधिक तकनीकी सत्र
न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 10 दिसंबर। दिमाग का वजन तो केवल सवा से डेढ़ किलो होता है लेकिन इस छोटे से दिमाग में अपार रहस्य भरे हैं। आगरा में एकत्रित हुए 1000 न्यूरोसर्जन और न्यूरो साइंटिस्ट इन्हीं रहस्यों से पर्दा उठा रहे हैं। वे न सिर्फ दिमागी बीमारियों के इलाज पर बल्कि ब्रेन की नेटवर्किंग और इसके सुपर कंप्यूटर से भी ताकतवर होने पर बात कर रहे हैं। इसके अलावा आध्यात्मिक अध्याय भी खोले जा रहे हैं।
फतेहाबाद रोड स्थित होटल जेपी पैलेस में आयोजित न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के 70 वें अधिवेशन में देश-दुनिया से जुटे न्यूरो विशेषज्ञ बीमारियों के इलाज के साथ ही दुनिया भर में इस पर चल रहे अध्ययनों पर प्रकाश डाल रहे हैं।
आयोजन अध्यक्ष और वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. आरसी मिश्रा ने कहा कि हमारा दिमाग जितना छोटा है इसके राज उतने गहरे हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक दशकों से इसके राज खोलने में जुटे हुए हैं फिर भी दिमाग की सभी परतें खुल नहीं पाई हैं। हमारा दिमाग इतना सक्षम है कि सुपर कंप्यूटर भी उसके आगे कुछ नहीं। बावजूद इसके हम इंसान अपने दिमाग का सही और पूरा उपयोग करना सीख नहीं पाए हैं।
आयोजन सचिव व वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. अरविंद कुमार अग्रवाल ने बताया कि मल्टी स्नेप्स कनेक्शन की वजह से लोगों का व्यवहार बदलता है। आपका दिमाग कई काम करता है जैसे संज्ञान लेना, तर्क करना, सोचना, पहेली में उलझना, निर्णय लेना। कई ऐसी चीजें होती हैं जो आप ऑटोमेटिकली करते हो। हालांकि वो चीजें आपको जेनेटिकली नहीं मिली होतीं जैसे ट्रैफिक सिग्नल पर लाल लाइट देखकर कार को रोक देना। यह एक अत्यधिक मजबूत कनेक्शन द्वारा भेजा गया संदेश होता है। जिस पर हमारा शरीर अपने आप काम करता है। हमारे दिमाग में कुछ कोशिकाएं होती हैं जिन्हें नकलची कोशिकाएं भी कहते हैं। अगर ये क्षतिग्रस्त हो जाएं तो इंसान को दूसरे लोगों से रिश्ते और संवाद बनाने में मुश्किल होती है।
आध्यात्म के लिए मस्तिष्क में
खास सर्किट डॉ. अनिल नंदा
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ न्यूरोसर्जन्स के सचिव डॉ. अनिल नंदा ने कहा कि मानव मस्तिष्क के बारे में हमारे वैज्ञानिक अभी भी बहुत कम ही जानकारी हासिल कर सके हैं। हालांकि इस पर शोध निरंतर जारी हैं। धर्म और आध्यात्म संबंधी शोध और और अन्य पहलू भी शामिल हैं। इतना तो अब तक पता चल चुका है कि दिमाग के ऐसे खास सर्किट होते हैं जो धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इस अवसर पर हॉल में डॉ. नूपुर प्रूथी, डॉ. एस शशिवर्धन, डॉ. सास्वत मिश्रा, डॉ. दीपक झा, डॉ. एसके गुप्ता, डॉ. जोगी पट्टीसापू, डॉ. अनिल नंदा, डॉ. दिलीप पानीकर, डॉ. आरसी मिश्रा, हॉल बी में डॉ. ह्यूगस ड्युफाओ, डॉ. बीएस शर्मा, डॉ. अनंत मेहरोत्रा, डॉ. मनाबु किनोशिता, हॉल सी में डॉ. वीडी सिन्हा, डॉ. वीआर रूपेश कुमार, डॉ. संदीप मोहिंदर, डॉ. आशीष सूरी, डॉ. विपुल कुमार गुप्ता, डॉ. वी राजशेखर सहित विभिन्न विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान हुए।
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