मच्छरों के 13 करोड़ साल पुराने शव मिले, हुआ हैरतअंगेज खुलासा




न्यूज स्ट्रोक 
नई दिल्ली, 06 दिसंबर। वैज्ञानिकों को दो मच्छरों के 13 करोड़ साल पुराने शव मिले हैं। लेबनान में मिले इन जीवाश्मों से हैरतअंगेज खुलासा हुआ है। हर साल लाखों लोगों की जान मलेरिया और अन्य ऐसी बीमारियों से होती है, जो मच्छरों के काटने से होती हैं। इन सभी मौतों के लिए मादा मच्छर जिम्मेदार होती हैं क्योंकि उनके मुंह में ही वैसे डंक होते हैं, जो नर मच्छरों में नहीं होते। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था।
मच्छर नाम का यह जीव करोड़ों साल से धरती पर मौजूद है और इसे डायनासोर का समकालीन माना जाता है लेकिन अब वैज्ञानिकों को मच्छरों के सबसे पुराने जीवाश्म मिले हैं, जिन्होंने एक हैरतअंगेज सच्चाई का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों को लेबनान के हम्माना शहर में क्रेटासियस युग के मच्छरों के अवशेष मिले हैं। करीब 13 करोड़ साल पुराने दो नर मच्छरों के ये अवशेष चट्टानों में मिले हैं। वैज्ञानिक हैरान इसलिए हैं कि इन नर मच्छरों के मुंह में खून चूसने वाले वैसे डंक मौजूद हैं, जो अब सिर्फ मादाओं के मुंह में पाए जाते हैं।

एकदम आधुनिक मच्छरों जैसे
नानजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी एंड पेलिएंथोलॉजी और लेबनीज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह खोज की है। मुख्य विशेषज्ञ नानजिंग इंस्टिट्यूट के डैनी अजार कहते हैं, जाहिर है कि वे खून चूसते थे। इसलिए मच्छरों के विकास के इतिहास की यह एक बड़ी खोज है। वैज्ञानिकों को लेबनान के हम्माना शहर में क्रेटासियस युग के मच्छरों के अवशेष मिले हैं। करीब 13 करोड़ साल पुराने दो नर मच्छरों के ये अवशेष चट्टानों में मिले हैं। वैज्ञानिक हैरान इसलिए हैं कि इन नर मच्छरों के मुंह में खून चूसने वाले वैसे डंक मौजूद हैं, जो अब सिर्फ मादाओं के मुंह में पाए जाते हैं।
जीवाश्मों में मच्छरों के अवशेष बहुत करीने से संरक्षित मिले हैं। दोनों ही मच्छरों के तीखे जबड़े हैं और दांत जैसे आकार भी नजर आते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें संदेह है कि मच्छर ऐसे जीवों के वंशज हैं, जो खून नहीं चूसते थे। उनका अनुमान है कि मच्छरों के डंक पहले पौधों का रस चूसने के लिए इस्तेमाल होते होंगे।

विश्व में मच्छरों की 3,500 प्रजातिया
विश्व में मच्छरों की 3,500 प्रजातियां पाई जाती हैं। अंटार्कटिक के अलावा दुनिया के हर हिस्से में वे मौजूद हैं। कुछ प्रजातियां रोगों की वाहक बन जाती हैं और मलेरिया, जीका बुखार, डेंगू जैसी बीमारियां फैलाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मलेरिया से हर साल दुनिया में चार लाख लोगों की जान जाती है।

Post a Comment

0 Comments