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अंताक्षरी खेलते खेलते दुनिया छोड़ गए कथक गुरु बिरजू महाराज

     नहीं रहे कथक सम्राट 




न्यूज़ स्ट्रोक
नई दिल्ली, 17 जनवरी । कथक सम्राट नर्तक पंडित बिरजू महाराज का हृदयाघात से निधन हो गया है । पद्म विभूषण से सम्मानित 83 वर्षीय बिरजू महाराज ने रविवार-सोमवार की दरमियानी रात दिल्ली में अंतिम सांस ली। बिरजू महाराज के निधन की खबर से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर छा गई।
उनके पोते स्वरांश मिश्र ने सोशल मीडिया के जरिए महाराज जी के निधन की सूचना दी। उन्होंने बिरजू महाराज की तस्वीर पोस्ट कर लिखा, 'अत्यंत दु:ख और दुख के साथ सूचित किया जाता है कि हमारे परिवार के सबसे प्रिय सदस्य का दुखद और असामयिक निधन हो गया है।'
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, पंडित बिरजू महाराज रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात करीब 12:00 बजे तक अपने नाती पोतों के साथ अंताक्षरी खेल रहे थे. अंताक्षरी खेलते-खेलते अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और वह बेहोश हो गए। उन्हें दिल्ली के साकेत अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
पंडित बिरजू महाराज को कुछ दिनों पहले किडनी की बीमारी का पता चला था। वह डायलिसिस पर चले गए थे लेकिन कल अचानक रात में उनकी तबीयत बिगड़ी और उनका देहांत हो गया।

कौन थे पंडित बिरजू महाराज
पंडित बिरजू महाराज का जन्म 04 फरवरी 1938 को हुआ था। उनका असली नाम बृजमोहन मिश्रा था। वह कथक नर्तकियों के महाराज परिवार के वंशज थे। उनके दो चाचा, शंभू महाराज और लच्छू महाराज और उनके पिता अचन महाराज भी कथक नर्तक थे। उनके चाचा ने ही उन्हें कथक सिखाया था। वो केवल 9 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था। वो कथक नर्तक के साथ- साथ मशहूर गायक भी थे।

पद्म विभूषण से सम्मानित थे
बिरजू महाराज पद्म विभूषण से सम्मानित थे। उन्होंने नई दिल्ली में संगीत भारती में तेरह साल की उम्र में नृत्य सिखाना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में भारतीय कला केंद्र और कथक केंद्र में पढ़ाया, यहां से वो 1998 में सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में अपना नृत्य विद्यालय खोला और इसका नाम कलाश्रम रखा। उन्होंने सत्यजीत रे की 'शतरंज के खिलाड़ी' में दो डांस कोरियोग्राफ किए थे। इसके अलावा साल 2002 में फिल्म देवदास के गाने काहे छेड़ मोहे को कोरियोग्राफ किया था।

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