-हिंदी साहित्य भारती के तत्वावधान में आयोजित हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और नवगीत संग्रह ‘संदली हवाएं’ का विमोचन
न्यूज स्ट्रोक
आगरा, 10 अक्टूबर। हिंदी साहित्य भारती के तत्वावधान में सोमवार दोपहर डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में देश के मशहूर गीतकार डॉ. राजकुमार रंजन के नवगीत संग्रह ‘संदली हवाएं’ के विमोचन के साथ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।
उद्घाटन विधान परिषद सदस्य (शिक्षक खंड) डॉ. आकाश अग्रवाल ने किया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रोफेसर सोम ठाकुर ने समारोह की अध्यक्षता की। हिंदी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रवींद्र शुक्ल और केंद्रीय हिंदी संस्थान में नवीनीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उमापति दीक्षित मुख्य अतिथि रहे।
विख्यात गीतकार रामेंद्र मोहन त्रिपाठी, समाजसेवी महेंद्र कुमार गोयल, निखिल प्रकाशन के मोहन मुरारी शर्मा और राज वर्मा विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि डॉ. अंगद धारिया ने किया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आरएस तिवारी शिखरेश ने लोकार्पित कृति की समीक्षा करते हुए कहा कि इस संग्रह में कल्पना एवं चिंतन का बेजोड़ संगम आदि से अंत तक ध्वनित है। कवि कुमार ललित ने समीक्षा करते हुए कहा कि डॉ. राजकुमार रंजन प्रेम, सौंदर्य और दर्शन के साथ-साथ उत्साह, उल्लास, आशावाद, उत्सव धर्मिता, जिजीविषा और युगीन संवेदना को बखूबी पिरोने वाले बेहतरीन गीतकार हैं।
समारोह के दूसरे सत्र में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बही काव्य की रसधार ने सबको भावविभोर कर दिया। लोकार्पित कृति के रचनाकार और देश के मशहूर गीतकार डॉ. राजकुमार रंजन के इस नवगीत ने सबको वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया, ‘मैं रहता हूं जहां पर हैं मकानों के घने जंगल। जहां पसरी हैं सडक़ें सांपिनों सी, दिल हुए मरुथल।’ वहीं डॉ. राधेश्याम मिश्र की इन पंक्तियों ने सबमें साहस का संचार किया, ‘जिसका लक्ष्य बड़ा होता है। आगे वही खड़ा होता है। होती जय जयकार उसी की, जो रणभूमि लड़ा होता है।’ प्रसिद्ध गीतकार दिनेश प्रभात (भोपाल) ने प्रेमानुभव को यूं व्यक्त किया, ‘दर्द की नब्ज जान ली हमने। वक्त की बात मान ली हमने।’ रजिया बेगम ‘जिया े बादलों का यूं आह्वान किया, ‘ओ रे! आवारा बादल काहे सताये। आजा बरसा जमके कुछ न सुहाये।’
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ख्याति प्राप्त गीतकार प्रोफ़ेसर सोम ठाकुर ने हिंदी वंदना प्रस्तुत कर सबका दिल छू लिया ‘करते हैं तन मन से वंदन, जनगण मन की अभिलाषा का।’ कवि सम्मेलन में सुप्रसिद्ध कवि रामेंद्र मोहन त्रिपाठी, सतीश समर्थ, राम राहुल, संजय संगम, गिरीश जैन ‘गगन’, मंजुल मयंक, प्रशांत देव मिश्र, वेद प्रकाश मणि, डॉ. संतोष संप्रीति, नीतू गुप्ता गयावी, डॉ. राघवेंद्र शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया।
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