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वाशिंगटन/ नई दिल्ली। नॉर्मल ही जब आप बात करते हैं तो कई बार लोग आपकी आवाज की तारीफ करते हुए कहते हैं कि आप की आवाज में दम है। या फिर कुछ कहेंगे कि आपकी आवाज बहुत पतली है या बहुत भारी है। कुछ आवाज तो व्यक्तित्व की बड़ी पहचान भी बन जाती हैं। लेकिन अब बात यहीं तक सीमित नहीं है। अब आपकी आवाज से यह पता भी चलेगा कि आपको कौन सी बीमारी है?
विश्व भर में आज की तारीख में ज्यादातर बीमारियों का पता खून के टेस्ट से चलता है। इसके अलावा यूरिन टेस्ट, सीटी स्कैन, एक्स-रे, एमआरई, कफ जैसी कई जांचें हैं, जिसके जरिए अलग-अलग तरह की बीमारियों का पता लगाया जाता है।
अब खबर है कि आवाज के सैंपल से बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। वैज्ञानिक इसके लिए रिसर्च में जुटे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है। वैज्ञानिक इस बात का एक डाटा तैयार कर रहे हैं कि किस बीमारी के समय रोगी की आवाज कैसी हो जाती है, उसी के आधार पर यह डाटा तैयार हो रहा है।
कहा जा रहा है कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अब खून के साथ-साथ आवाज के सैंपल से भी बीमारियों का पता चल पाएगा। इस टेक्नोलॉजी से साधारण बीमारी से लेकर कैंसर से तक की बीमारी का पता लगाया जा सकेगा, जिससे डॉक्टरों को इलाज करने में भी फायदा होगा।
आवाज के सैंपल आने के बाद से टेस्ट में भी आसानी हो जाएगी। इसके कारण रिपोर्ट भी आसानी से और कम समय में मिल सकेगी। अभी के समय में ब्लड सैंपल की रिपोर्ट आम तौर पर आने में 24 घंटे लगते हैं, लेकिन आवाज की सैंपल से यह समय कम हो जाएगा। साथ ही इसका सैंपल लेना भी आसान होगा। हालांकि अभी इसकी टेस्टिंग की हो रही है। बताया जा रहा है कि अगले कुछ साल में यह तकनीक आम लोगों के लिए भी आ जाएगी। जिससे मेडिकल के क्षेत्र में इलाज के दौरान काफी मदद मिलेगी।
अमेरिका स्थित मेयो क्लीनिक के शोधकर्ताओं ने एल्गोरिदम के आधार पर एक नई तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए सिर्फ आवाज सुनकर दिल के मरीजों की स्थिति का पता लगया जा सकता है. यह रिसर्च ऐसे 108 लोगों पर किया गया जिन्हें दिल की बीमारी होने का खतरा था. रिसर्च के नतीजे चौंकाने वाले है।
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आवाज के जरिए दिल की बीमारी का पता चल जाने की यह प्रक्रिया डॉक्टरों को इलाज में बहुत सहायक होगी. खास बात यह है कि यह एक ऐसा तरीका है जो मरीज के लिए आसान और मनोरंजक भी है हालांकि अभी इस क्षेत्र में बहुत संभावना बाकी है और इसे बड़े स्तर पर करना जरूरी है तभी इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे लेकिन इस तरह की तकनीक ने दिल की बीमारी को ठीक करने की दिशा में नई राह जरूर खोल दी है।
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