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आगरा, 26 फरवरी। सिंधी समाज का सबसे बड़ा पर्व चेटीचंड 22 मार्च को भगवान झूलेलाल की जयंती के रूप में मनेगा। इस दिन समाज की सबसे बड़ी और भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसके लिए सिंधी सेंट्रल पंचायत और झूलेलाल मेला कमेटी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। पंचायत से जुड़े लोगों को अहम जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं। इसी क्रम में चेटीचंड मेले का संयोजक गुरु रुद्रनाथ को बनाया गया है जबकि घनश्याम देवनानी संरक्षक होंगे।
मीडिया प्रभारी मेघराज दियालानी ने बताया कि दोनों को सर्वसम्मति से यह अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। 22 मार्च को घटिया स्थित हरियाली वाटिका पर शोभायात्रा का शुभारंभ होगा। इसके बाद सायंकाल पांच बजे ताज प्रेस क्लब के सामने से शोभायात्रा निकलेगी। शोभायात्रा में चार दर्जन से अधिक झांकिया होंगी। यह वर्ष अमर शहीद हेमू कालाणी का जन्म शताब्दी वर्ष है, अत: उनकी शहादत को जीवंत रखने के लिए एक विशेष झांकी सम्मलित की जाएगी।
सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष चंद प्रकाश सोनी ने बताया कि पंजाब, मुंबई व अन्य शहरों से भी कलाकार आ रहे हैं। शोभायात्रा में आगरा महानगर के साथ साथ मथुरा-वृंदावन, टूंडला, फिरोजाबाद, एटा तथा अलीगढ़ के समाजजन सम्मलित होंगे।
दरेसी स्थित होटल लाल्स-इन में सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सोनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्य संरक्षक गागनदास रामानी, घनश्यामदास देवनानी,परमानन्द अतवानी, नंदलाल आयलानी, मेघराज दियालानी, जय राम दास होतचंदानी, राज कोठारी,रोची राम नागरानी,किशोर बुधरानी, सुशील नोतनानी, भजनलाल प्रधान, जगदीश डोडानी, राजकुमार गुरनानी, नरेंद्र पुरषनानी, दौलत खुबनानी, राजू खेमानी,लक्ष्मण गोकलानी, अशोक पारवानी, अमृत मखीजा, अशोक कोडवानी, लाल एम सोनी,महेश वाधवानी,अशोक गोकानी,हरीश मोटवानी, नरेश लखवानी,देवनानी,दौलत मोड़वाणी,हरीश आसवानी,का गन्नू भाई मौजूद रहे।
क्या है चेटीचंड पर्व
चेटीचंड सिंधी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व सिंधी समाज के आराध्य देवता भगवान झूले लाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है इसलिए इसे झूलेलाल जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार के साथ ही सिंधी नव वर्ष की शुरुआत होती है। चेटी चंड पर्व चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस मौके पर सिंधी समाज के लोग जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए वरुण देवता की पूजा करते हैं। क्योंकि भगवान झूले लाल को जल देवता का अवतार माना जाता है। चेटी चंड पर्व अब धार्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है बल्कि सिंधु सभ्यता के प्रतीक के तौर पर भी जाना जाने लगा है।
झूलेलाल जी को उदेरो लाल भी कहा जाता है। संस्कृत में इसका मतलब है कि जो पानी के करीब रहता है या पानी में तैरता है। जब वो छोटे थे तो उन्हें झूले में झूलना काफी पसंद था। वह उसी पर आराम करते थे। इसी के कारण उनका नाम झूलेलाल पड़ गया था।
चेटी चंड से जुड़ी पौराणिक कथा
चेटी चंड पर्व सिंधी नववर्ष का शुभारंभ दिवस है। इसी दिन विक्रम संवत 1007 सन 951 ईस्वी में सिंध प्रांत के नरसपुर नगर में भगवान झूले लाल का जन्म रतन लाल लुहाना के घर माता देवकी के गर्भ से हुआ था। भगवान झूले लाल को लाल साईं, उडेरो लाल, वरुण देव और ज़िंदा पीर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान झूले लाल ने धर्म की रक्षा के लिए कई साहसिक कार्य किये। भगवान झूलेलाल ने हिंदू-मुस्लिम की एकता के बारे में अपने विचार रखे और एक ईश्वर के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘’ईश्वर एक है और हम सब को मिलकर शांति के साथ रहना चाहिए’’। इस वजह से भगवान झूले लाल की वंदना हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय करते हैं।
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