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घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां, भैंसे पर सवार होकर जाएंगी

 


न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 1अप्रैल। कल शनिवार से चैत्र नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं और इसी के साथ नया हिंदू वर्ष नवसंवत्सर 2079 भी आरंभ हो जाएगा। हर वर्ष चैत्र प्रतिपदा शुक्ल पक्ष को हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। अगले नौ दिन मातृशक्ति के होंगे। इस बार कोई घट-बढ़ नहीं है। नवरात्र नौ दिनी होगा। नवरात्र में नौ दिन मां शक्ति के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री नौ रूपों में अलग-अलग पूजन अर्चन का का विधान शास्त्रों में वर्णित है।

पहले दिन सर्वार्थसिद्धि योग
एवं अमृत सिद्धि योग बन रहा 
इस बार नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थसिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इन योगों में किए गए सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलेगी। इस दिन ग्रहों का संयोग भी अति उत्तम है। कुम्भ राशि में गुरु, शुक्र का योग, मकर राशि में मंगल शनि का योग साहस व पराक्रम के साथ सुख-शांति का योग बनाएंगे।




 घोड़े पर सवार मां की सवारी का मतलब
यूं तो दुर्गा मां का वाहन सिंह है लेकिन नवरात्रों में मां का आगमन अलग-अलग वाहनों पर होता है। इसके अलग-अलग मतलब भी होते हैं। इस नवरात्र पर मातारानी का आगमन भक्तों के घर घोड़े पर हो रहा है जबकि मातारानी भैंसा पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। मां का घोड़े पर आगमन युद्ध की स्थिति पैदा करने वाला होता है। वहीं भैंसा पर सवार होकर प्रस्थान करना देश में रोग व शोक का वातावरण रहने का परिचायक है। घोड़े पर सवार होकर माता रानी का धरती पर आगमन शुभ नहीं माना जाता है। नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होता है, तो समाज में अस्थिरता, तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

यूं होती है मां सवार
इस बाद मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। सोमवार और रविवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापित होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होती हैं। शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार अथवा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर वह डोली पर चढ़कर आती हैं। बुधवार होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं। माता की सवारी के अनुंसार पृथ्वी पर उसके प्रभाव का आकलन किया जाता है।

 कलश स्थापना
अनुष्ठान में कलश स्थापना एवं अखंड दीपक का विशेष महत्व होता है। कलश सोना, चांदी, तांबा आदि का शुभ माना गया है। मिट्टी का कलश अत्यंत शुभ रहेगा। कलश स्थापना स्थिर लग्न में ही करें, क्योंकि स्थिर लग्न में किया गया कार्य अवश्य सफल होता है। शनिवार को प्रात: 8.34 से 10.18 तक स्थिर लग्न रहेगा। इसके मध्य ही कलश स्थापना करना शुभ रहेगा। दुर्गा अष्टमी नौ अप्रैल दिन शनिवार को है। नवमी एवं राम नवमी 10 अप्रैल दिन रविवार को है। इसी दिन रवि पुष्य योग भी अत्यंत प्रभावकारी है।


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