सांप्रदायिक सद्भाव की सबसे
बड़ी मिसाल भगवान झूलेलाल
आज आगरा में भगवान झूलेलाल की भव्य शोभायात्रा निकाली जा रही है क्यूंकि आज भगवान झूलेलाल जी का प्रकटोत्सव है। वरुण अवतार भगवान झूलेलाल ने ही सर्वप्रथम कहा था 'ईश्वर-अल्लाह हिक आहे' अर्थात 'ईश्वर-अल्लाह एक हैं'। उनके नाम पर एक प्रसिद्ध भजन है, जो भारत और पाकिस्तान में गूंजता है... 'दमादम मस्त कलंदर...चारई चराग तो दर बरन हमेशा, पंजवों मां बारण आई आं भला झूलेलालण... माताउन जी जोलियूं भरींदे न्याणियून जा कंदे भाग भला झूलेलालण... लाल मुहिंजी पत रखजंए भला झूलेलालण, सिंधुड़ीजा सेवण जा शखी शाहबाज कलंदर, दमादम मस्त कलंदर... शखी शाहबाज कलंदर... ओ लालs मेरे ओ लालs मेरे...।'
उपासक भगवान झूलेलालजी को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसांईं, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से पूजते हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आज भी उनकी समाधि है। ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से मुसलमान भी उनके दर पर माथा टेकते हैं। उनके काल में हिन्दू और मुसलमान एक होकर रहते थे और किसी को भी किसी से कोई दिक्कत नहीं थी। सभी अपने-अपने धर्मानुसार जीवन-यापन करने के लिए स्वतंत्र थे।
झूलेलाल जी को जल के देवता वरुण का अवतार माना जाता है। चंद्र-सौर हिंदू पंचांग के अनुसार, झूलेलाल जयंती की तिथि वर्ष और चैत्र माह के हिन्दू महीने की पहली तिथि को मनाया जाता है। सिंधी समुदाय के लोगों के लिए यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है क्योंकि हर नया महीना सिंधी हिंदुओं के पंचांग के अनुसार नए चांद के साथ प्रारंभ होता है इसलिए इस विशेष दिन को चेटी चंड भी कहा जाता है।
सिन्धी समाज के लिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ईशा, अल्लाह से भी बढ़कर हैं। झूलेलाल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता हैं। इनकी पूजा तथा स्तुति का तरीका कुछ भिन्न हैं
जल के देव होने के कारण इनका मंदिर लकड़ी का बनाकर जल में रखा जाता है। इसके अलावा इनके नाम पर दीपक जलाकर भक्त आराधना करते हैं। चेटीचंड के अवसर पर भक्त इस झूलेलाल भगवान की प्रतिमा को अपने शीश पर उठाते हैं। जिनमें परम्परागत छेज नृत्य किया जाता है। झूलेलाल जी इष्ट देव हैं। सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि के महापुरुष के रूप में इन्हें मान्यता दी गई हैं। ताहिरी, छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत आदि इस दिन बनाते हैं तथा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। चेटीचंड की शाम को गणेश विसर्जन की तरह बहिराणा साहिब की ज्योति विसर्जन किया जाता हैं।
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