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नई दिल्ली, 09 मई । पत्नियों को पीटना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता लेकिन क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं? एक राष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक काफी संख्या में हमारे देश में ऐसे लोग हैं जो इसके विपरीत सोचते हैं, उनका मानना है कि विभिन्न परिस्थतियों में पत्नियों को पीटना जायज है। दरअसल राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अनुसार कर्नाटक में पुरुष और महिलाओं की ऐसी बड़ी संख्या है जो मानते हैं कि अगर पत्नियां अगर अपने कर्तव्यों को ठीक से पूरा नहीं करती हैं तो उनको शारीरिक यातनाएं देना या घरेलू दुव्र्यवहार ठीक है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार लगभग आधे भारतीय पुरुष और महिलाएं ऐसी ही सोच रखती हैं। कर्नाटक में ऐसा विचार करने वालीं 76.9 फीसदी महिलाएं और 81.9 फीसदी पुरुष हैं, जबकि देश भर में 45 फीसदी महिलाएं और 44 फीसदी पुरुष इस विचार से सहमत थे।
भारत में हर राज्य में जनसंख्या, स्वास्थ्य और पोषण मानकों पर डेटा दिखाने वाले डेटासेट के अनुसार निष्कर्ष बताते हैं कि बड़ी संख्या में लोगों ने सहमति जताई कि पत्नी की पिटाई ठीक है अगर वह बिना बताए घर से बाहर जाती है। ठीक से खाना नहीं बना रही है या अगर पति को उसकी निष्ठा पर संदेह है।
सर्वे में शामिल लोगों ने ये भी कहा कि अगर पत्नी पति के साथ यौन संबंध बनाने से इंकार करती है तो भी उसका शारीरिक उत्पीडऩ ठीक है। लगभग 11 प्रतिशत महिला उत्तरदाताओं और 9.7 प्रतिशत पुरुष उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि एक पत्नी को सेक्स से इनकार करने के लिए पीटा जाना चाहिए।
अधिकांश उत्तरदाताओं 32 प्रतिशत महिलाओं और 31 प्रतिशत पुरुषों ने महसूस किया कि ससुराल वालों का अनादर करना उत्पीड़न का एक प्राथमिक कारण था। इसके बाद घर और बच्चों (28 फीसदी महिलाएं और 22 फीसदी पुरुष) की उपेक्षा भी अहम कारण बताया गया। एक कारण पति के साथ बहस करना भी था और 22 प्रतिशत महिलाओं और 20 प्रतिशत पुरुषों का मानना था कि ऐसा करने के लिए एक महिला को पीटा जाना चाहिए। ऐसे ही पत्नी की वफादारी का संदेह भी एक कारण था। 20 प्रतिशत महिलाओं और 23 प्रतिशत पुरुषों ने इस मामले में घरेलू दुर्व्यवहार को उचित ठहराया।


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