👉मुलायम सिंह का पहली बार मुख्यमंत्री बनना भी एक रोचक किस्से से कम नहीं
न्यूज़ स्ट्रोक
साल 1989 के विधानसभा चुनाव में जनता दल की जीत के बाद चौधरी अजीत सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित हो चुका था, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने ऐसा दांव चला कि अजित सीएम बनने का सपना संजोते रह गए और खुद मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के सीएम बन बैठे। फिर सूबे में उन्होंने ऐसी सियासी जड़ें जमाईं कि वो तीन बार सीएम रहे। इतना ही नहीं उनके बेटे अखिलेश यादव भी बाद में मुख्यमंत्री बने।
उत्तर प्रदेश में अस्सी के दशक में जनता पार्टी, जन मोर्चा, लोकदल (अ) और लोकदल (ब) ने मिलकर जनता दल का गठन किया। चार दलों की एकजुट ताकत ने असर दिखाया और 1989 के चुनाव में एक दशक के बाद विपक्ष को 208 सीटों पर जीत मिली। यूपी में उस समय कुल 425 विधानसभा सीटें थीं, जिसके चलते जनता दल को बहुमत के लिए 14 अन्य विधायकों की जरूरत थी।
जनमोर्चा के विधायक मुलायम के समर्थन में
यूपी में जनता दल की ओर से मुख्यमंत्री पद के दो उम्मीदवार थे. पहले लोकदल (ब) के नेता मुलायम सिंह यादव और दूसरे चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत की दावेदारी कर रहे उनके पुत्र चौधरी अजित सिंह। उत्तर प्रदेश में जनता दल की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए चौधरी अजित सिंह का नाम पूरी तरह तय हो चुका था. चौधरी अजित सिंह बाकायदा शपथ लेने के तैयारियां कर रहे थे, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने ऐसा दांव चला कि जनमोर्चा के विधायक अजित सिंह के खिलाफ खड़े हो गए और मुलायम को सीएम बनाने की मांग कर बैठे
डीपी यादव मुलायम के लिए बने सहारा
वीपी सिंह के आदेश पर मधु दंडवते, मुफ्ती मोहम्मद सईद और चिमन भाई पटेल बतौर पर्यवेक्षक उत्तर प्रदेश भेजे गए. दिल्ली से लखनऊ भेजे गए पर्यवेक्षकों ने कोशिश की कि मुलायम सिंह यादव उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लें, लेकिन, मुलायम सिंह इसके लिए तैयार नहीं हुए। मुलायम सिंह ने तगड़ा दांव खेलते हुए बाहुबली डीपी यादव की मदद से अजीत सिंह के खेमे के 11 विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया। इस काम में उनकी मदद उस समय बेनी प्रसाद वर्मा भी कर रहे थे।
सीएम की रेस में सिर्फ पांच वोट से हारे अजित
विधायक दल की बैठक के लिए दोपहर में जनता दल के विधायकों को लेकर गाड़ियों का काफिला विधानसभा में मतदान स्थल पर पहुंचा। विधायक अंदर थे और सारे दरवाजे बंद कर दिए गए। बाहर जनता दल के कार्यकर्ताओं का हुजूम लगातार मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद के नारे लगा रहा था। तिलक हॉल के बाहर दोनों नेताओं के समर्थक बंदूक लहरा रहे थे। जनता दल विधायक दल की बैठक में हुए मतदान में मुलायम सिंह यादव ने चौधरी अजित सिंह को पांच वोट से मात दे दी। इस तरह से चौधरी अजित सिंह का सपना साकार नहीं हो सका और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बन गए। पांच दिसंबर 1989 को मुलायम ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
चार दल मिले पर नेताओं के दिल नहीं मिले
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