कड़वा सच : आईटी इंडस्ट्री से युवाओं में बढ़ा एनल कैंसर का खतरा

 


-प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर भी एक बड़ी समस्या, आठ से 10 घंटे बैठने का खामियाजा
-इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी की प्रीवर्कशॉप में विशेषज्ञों ने दी जानकारी

न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 23 फरवरी। युवाओं में प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर मलाशय और मलद्वार, गुदा बढ़ रहा है। आईटी इंडस्ट्री में काम करने वाले युवा आठ से 10 घंटे तक बैठकर काम करते हैं। उन्हें यह समस्या ज्यादा हो रही है। बदली जीवनशैली, धूम्रपान, मसालेदार खाना खाने से एनोरेक्टर डिसआर्डर और एनल कैंसर का खतरा बढ़ गया है। गुरुवार को इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी की 8वीं विश्व कांग्रेस की प्री. कॉन्फ्रेंस वर्कशॉप में प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर की बढ़ रही समस्या पर चर्चा की गई। 
पश्चिमपुरी स्थित एसआर पैलेस होटल, नामनेर  एसआर हॉस्पिटल और एसएन मेडिकल कॉलेज में देश विदेश से पहुंचे 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने सर्जरी की पांच आधुनिक तकनीकों (लेजर विधि, एमआईपीएच, चिवटे प्रोसीजर, सिग्मोडोस्कोपी, एंडोसूचरिंग) का प्रशिक्षण लिया। डॉ. लक्ष्मीकांत लाडूकर, सचिव इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी आईएससीपी ने बताया कि पश्चिमी सभ्यता और पश्चिमी खानपान का भारत में चलन बढ़ा है।
इससे सबसे ज्यादा प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर हो रहे हैं। आईटी सेक्टर में काम करने वाले युवा आठ से 10 घंटे तक बैठे रहते हैं और भूख लगने पर फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। इन्हें पाइल्स, फिशर, फिस्टुला प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर की समस्या हो रही है। गर्भावस्था में पेल्विस रीजन में दबाव बढ़ जाता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं में भी यह समस्या बढ़ी है। वहीं, धूम्रपान का अधिक सेवन करे, मसालेदार खाना और तनाव भरी जिंदगी से एनोरेक्टल डिसआर्डर बढ़ रहे हैं, इससे एनल कैंसर भी बढ़ा है।  
इससे पूर्व वर्कशाप का शुभारम्भ मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी खान-पान और जीवन शैली के प्रभाव गांव-गांव तक पहुंच रहा है। जिससे युवाओं में कब्ज व पेट से सम्बंधित बीमारियां बढ़ रहीं हैं। विशिष्ट अतिथि एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों को इस कांफ्रेंस से बहुत लाभ मिलेगा और नई तकनीकों की खोज के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। आयोजन सचिव डॉ. अंकुर बंसल व डॉ. अनुभव गोयल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. जितेन्द्र चौधरी, डॉ. प्रशांत लवानिया, डॉ. प्रशान्त रहाटे, डॉ. हिमांशु यादव आदि उपस्थित थे। संचालन करन रावत व प्रीति भरद्वाज ने किया।

भारत में 30 प्रतिशत सर्जरी पाइल्स और फिस्टुला की 
आयोजन सचिव डॉ. अकुर बंसल ने बताया कि पाइल्स, फिस्टुला, फिशर सहित मलाशय और मलद्वार की समस्या तेजी से बढ़ रही है। आलम यह है कि भारत में जितनी भी सर्जरी की जा रही हैं उसमें से 30 प्रतिशत इसी से जुड़ी हुई हैं।

इन्होंने दिया प्रशिक्षण
कार्यशाला में डॉ. अंकुर बंसल, डॉ. कल्याणकर, डॉ. करन रावत, डॉ. दीपक बंसल, डॉ. सोनावने, डॉ. अंजली दावले, डॉ. हिमांशु यादव, डॉ. जगतपाल सिंह, डॉ. रोहित धवन, डॉ. सचिन अरोरा आदि द्वारा प्रशिक्षण दिया।

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