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हेमलता दिवाकर भाजपा लता बाल्मीकि बसपा |
👉भाजपा की मेयर प्रत्याशी को न अपनी छवि और न उपलब्धियों का भरोसा, सिर्फ मोदी और योगी के आसरे
मुकेश उपाध्याय
आगरा, 01 मई (न्यूज़ स्ट्रोक )। क्या आगरा इस बार मेयर के चुनाव में एक नया इतिहास लिखेगा? क्या आगरा के मतदाता पूर्व में एक असफल विधायक ( हेमलता दिवाकर) रहीं भाजपा प्रत्याशी को सिर्फ इसलिए जिताएंगे कि वह भाजपा की प्रत्याशी हैं? या फिर इस बार परिणाम का ऊंट दूसरी ओर बैठेगा, जहां हाथी पर सवार हैं लता बाल्मीकि। सवाल कई हैं। ज्यादातर लोग चाहते हैं कि इस बार इतिहास बदले। अतीत के पन्नों यानि पिछली बार के चुनाव परिणामों पर पर जो कुछ लिखा जा चुका है, इस बार उसकी इबारत बदले। एक निष्क्रिय विधायक को सबक सिखाया जाए।
पहले बात कर लेते हैं मतदान की। निकाय चुनाव के पहले चरणों का प्रचार कल मंगलवार शाम 6 बजे थम जाएगा। बुधवार को पोलिंग पार्टियां रवाना होंगी। बृहस्पतिवार सुबह 7 बजे से जिले में मतदान शुरू होगा। जिसके लिए प्रशासन की तैयारियां पूर्ण हो गई हैं। नगर निगम के 100 वार्डों व मेयर के लिए ईवीएम मशीनों से वोट डाले जाएंगे। मंडी समिति में ईवीएम के स्ट्रांग रूम बने हैं। जहां रविवार को मशीनों का रैंडमाइजेशन पूर्ण हो गया। आज ईवीएम मशीनें सील हो रही हैं।
आगरा नगर निगम चुनाव में मेयर पद के लिए राजनीतिक दलों ने जातिवाद आंकड़े के अनुसार अपने-अपने प्रत्याशी उतारे है। भाजपा ने पूर्व विधायक हेमलता दिवाकर को मेयर पद का प्रत्याशी बनाया है। हेमलता दिवाकर विधायक होने के दौरान आम जनता से दूर ही रही हैं। भाजपा के सभी विधायकों के मुकाबले हेमलता दिवाकर का कार्यकाल सबसे निम्नकोटि का रहा। उस कार्यकाल के पिटारे से उपलब्धियों के नाम पर महज शून्य निकलता है।
हेमलता दिवाकर के क्षेत्र के लोगों को तब उनकी खोज के लिए पोस्टर तक लगाने पड़े थे, जब वह महीना तक क्षेत्र से गायब रहीं। बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा, यह कहावत विधायक की टिकट मिलने के दौरान भी उनके साथ घटित हुई और इस बार मेयर के टिकट के दौरान भी। दोनों बार उन्हें उनकी काबिलियत देखे बिना ही टिकट दी गई है। महिला रिजर्व सीट होने के कारण भाजपा ने हेमलता दिवाकर भरोसा जताया। इसके बावजूद कि हेमलता दिवाकर के मुकाबले भाजपा के पास कई सक्रिय और काबिल महिलाएं मौजूद थीं। यानी कुल मिलाकर हेमलता खुद के लिए जरूर लकी साबित हुई है लेकिन अभी तक के राजनीतिक सफर में वह अपने क्षेत्रीय मतदाताओं के लिए अनलकी ही रही हैं।
एक निष्क्रिय और उपलब्धिहीन विधायक रहने के कारण ही भाजपा ने 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इनका टिकट काटा था। भाजपा के समर्थक मतदाताओं का कहना है कि हेमलता दिवाकर पसंद तो उनको भी नहीं है लेकिन पत्थर पर दिल रखकर भाजपा के कारण उन्हें वोट देंगे।
हेमलता दिवाकर को भी पता है कि मोदी और योगी की छवि उनके लिए सीट जिताऊ साबित होगी। वरना अपने पल्ले तो कुछ है ही नहीं।
दूसरी ओर बसपा की प्रत्याशी लता वाल्मीकि हैं जो इस समय हेमलता दिवाकर को कड़ी टक्कर दे रही हैं और कुछ मामलों में उनसे आगे चल रही हैं। बसपा ने जातिवाद गठजोड़ लगा कर लता वाल्मीकि को मेयर पद के लिए प्रत्याशी बनाया है। बसपा कई दशक से मेयर सीट के लिए प्रयास कर रही है । हालांकि इस बार बसपा लता वाल्मीकि को उतारकर भाजपा के इस समाज के वोट बैंक के गणित को बिगाड़ सकती है।
अगर बसपा यहां सेंध लगाने में कामयाब रही तो उसका अपना वोट बैंक और मुस्लिम मतदाता। यह तीनों मिलकर हेमलता दिवाकर को मात दे सकते हैं। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को भी मुस्लिम मतदाताओं से उम्मीद है लेकिन मुस्लिम मतदाता मेयर के चुनाव में बसपा की तरफ ही होते आये हैं। इस बार भी सीधी टक्कर भाजपा और बसपा में दिख रही है इसलिए मुस्लिम मतदाता भी बसपा की तरफ ही जाते दिख रहे हैं। कुल मिलाकर आगरा का मेयर चुनाव काफ़ी दिलचस्प हो सकता है। भाजपा प्रत्याशी हारी तो यह आगरा का ऐतिहासिक फैसला होगा।
प्रत्येक बूथ पर दो ईवीएम
प्रत्येक बूथ पर दो ईवीएम होंगी। एक में पार्षद और दूसरी ईवीएम में मेयर के लिए मतदान होगा।उप जिला निर्वाचन अधिकारी ए मनिकंडन ने बताया कि जिले में सभी मतदान केंद्रों की मैपिंग हो चुकी है। 1900 से अधिक मतदान स्थल हैं।जहां बिजली, पानी से लेकर सफाई तक सभी तैयारियां पूर्ण कराई हैं। बुधवार शाम तक सभी मतदेय स्थलों पर पोलिंग पार्टियां पहुंच जाएंगी।
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