Shrimad Bhagwat Katha: सत्य मार्ग पर चलना सिखाती है श्रीमद्भागवत कथा


-👉योगेश्वर महादेव श्री महाकाली मंदिर जोगीपाड़ा, शाहगंज में व्यास पूजन के साथ श्रीमद्भागवत कथा को विराम दिया गया


न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 31 जुलाई । सांसारिक दुखों से मुक्ति चाहिए तो श्रीहरि से मित्रता करिए। सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र का विपत्ति में साथ दे। उसे अपने से नीचा रखने के बजाय समकक्ष बनाने का प्रयास करे। योगेश्वर महादेव श्रीमहाकाली मंदिर जोगीपाड़ा, शाहगंज में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथा वाचक पं. कोमलकृष्ण शास्त्री, वृन्दावन ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मित्रता का अर्थ स्वार्थ नहीं बल्कि सहयोग और समर्पण होना चाहिए। सच्ची मित्रता हमें प्रभु के चरणों में ही मिल सकती है। सुदामा के द्वारिका से लौटने पर अपनी कुटिया के स्थान पर खड़े ऊंचे महल देखकर वह डर गए।



कथा व्यास ने बताया कि सत्यभामा राधा का स्वरूप थीं। श्रीकृष्ण के रुक्मणी, सत्यभामा, जामवती सहित सभी 16108 विवाह और रानियों की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। बृज की गोपियां, नन्द बाबा, यशोदा का कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय स्नान करने पहुंचने पर हुए मिलन की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया।
श्रीकृष्ण को गांधारी द्वारा दिए गए श्राप, राजा परिक्षित मोक्ष की कथा कही। दत्तात्रय जी द्वारा 24 गुरुओं का वर्णन, यदुवंश का कुल संहार आदि का वर्णन किया। व्यास पूजन के साथ श्रीमद्भावगवत कथा का विराम दिया गया। 
इस अवसर पर मुख्य रूप से अंशुश शास्त्री, द्वारिका नाथ पुजारी, ब्रह्म गोस्वामी, पवन योगीराज, विष्णु नाथ, वीरा, कन्हैया, कालिया नाथ, कन्नू, तरुण, गौरव कनछी, अमन, सुनील, यशपाल,भूरा, प्रेम गोस्वामी, विमला गोस्वामी आदि उपस्थित थीं।

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