देवउठनी एकादशी पर कल चार
माह बाद जागेंगे भगवान विष्णु
फोटो आजतक साभार |
दीप्ति जैन |
इस तिथि से अब तक लगे सभी मांगलिक कार्यों पर रोक हट जाती है और शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, कर्ण चेदन आदि प्रारंभ हो जाते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना की जाती है। घर की उत्तर पूर्व दिशा में चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर श्री विष्णु की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है।
भगवान विष्णु को पीली मिठाई और फल
भगवान विष्णु को पीले पुष्प जैसे गेंदे का पुष्प चढ़ाया जाता है। अरोमा थैरेपी अनुसार गेंदे की गंध हमारे तंतुओं को प्रेरित कर के स्वस्थ होने की प्रक्रिया को तेज़ करती है। आलसी व्यक्ति का आलस्य दूर कर उसकी कार्यश्रमता का विकास करती है। वातावरण में उमंग, उत्साह व क्रियाशीलता का सृजन करती है। रुके हुए कार्य से रुकावट दूर करती है। साथ ही पांच फल जैसे केला, पपीता, श्रीफल अमरुद व नारंगी चढ़ाएं ।
देव उठान एकादशी के दिन दिन घर के उत्तर पूर्व दिशा में केले का पौधा लगाएं। उसकी जड़ में हल्दी से टीका करें। आपके गुरु ग्रह शुद्ध होंगे। आपके जीवन में प्रगति होगी व यश की प्राप्ति होगी।
कई परिवारो में गेरू व खड़िया से अलपना बनाई जाती है। घर के मध्य में अष्टकोण की अलपना बनाने से आठों दिशाओं से शुभ ऊर्जा का संचार होता है। मुख्य द्वार के दोनों तरफ गेरू खड़िया से स्वास्तिक चिन्ह अंकित करने से द्वार से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा का शमन होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। गेरू अग्नि व खड़िया जल का प्रतिनिधित्व करता है। इसका शुभ संतुलन ही शुभता प्रतीक होता है।
मुख्य द्वार पर आम के पत्ते से बनी बंदनवार लगाई जाती है। आम के पत्ते वातावरण में व्यापत प्रदूषण को समाप्त कर शुभ स्वच्छ ऊर्जा का संचार करती है। यह वंदनवार पीले रंग के कलावे से बनाए तो शुभ फल की प्राप्ति होगी।
देवठान पर दान का विशेष महत्व
कन्या के विवाह में विलंब हो तो करें यह
जिस कन्या के विवाह में विलंब हो रहा हो, वह आज के दिन किसी विष्णु मंदिर में केले व केली का पेड़ जोड़े के साथ लगाएं ।साथ ही एक नारियल पीला कलावा बांधकर उस पर कुछ धनराशि रख कर श्री विष्णु के चरण मे अर्पित करें। सुयोग्य वर की प्राप्ति होगी।
शालिग्राम और तुलसी का विवाह
देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन तुलसी मां का भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ विवाह हुआ था। मान्यता है कि इस दिन जो भी विधि पूर्वक तुलसी विवाह का आयोजन कर है उसे कन्यादान के तुल्य फल प्राप्त होता है और अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से तुलसी पूजन का भी विधान है। तुलसी विवाह के दिन पूजन में मां तुलसी के इन मंत्रों और तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से मां तुलसी सभी रोग-दोष से मुक्ति प्रदान करती हैं और अखण्ड सौभाग्य का वरदान देती हैं।
तुलसी पूजन के मंत्र
1-तुलसी जी के पूजन में उनके इन नाम मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए...
ॐ सुभद्राय नमः
ॐ सुप्रभाय नमः
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