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आगरा, 20 सितम्बर। अक्रूर जी द्वारा श्रीकृष्ण को मथुरा ले जाने पर कृष्ण वियोग में बिलखती गोपियां, उद्धव के साथ यशोदा, राधा और गोपियों के संवाद सुन भक्तों की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। वहीं मथुरा पहुंचकर कुबजा उद्धार के बाद श्रीकृष्ण ने जैसे ही कंस का वध किया, कथा स्थल पर श्रीकृष्ण के जयकारे गूंजने लगे। कथा व्यास ने कहा कि जीवन का उद्धार चाहते हो तो भक्त कुबजा, शबरी, विदुर और केवट की तरह अपने मन की डोर श्रीहरि के हाथों में सौंप दो।
बृज भूमि धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा सेक्टर सात के पार्क में श्रीमद्भागवत कथा में आज कंस, जरासंध वध, रुकमणी विवाह का संगीतमय वर्णन व्यासपीठ पर बैठे श्रद्धेय एक ब्रह्म राजेश महाराज ने किया। उन्होंने कहा कि जीवन एक नदी की तरह है, जिसके दो किनारे हैं। एक सुख और दूसरा दुख। सच्चा प्रेम तो केवल प्रभू के चरणों में है, बाकी सब दिखावा है।
कथा के दौरान मुख्य रूप से रविंद्र सिंह, कमलेश, सुरेश कंसल (एडवोकेट) महामंत्री, संगीत देवी, नितिन गोयल, नमिता गोयल, सुमित जिंदल (मीडिया प्रभारी), विनय अग्रवाल, वैभव गर्ग, सुकांशी गर्ग, गौरव तिवारी, नेत्रपाल यादव, अलका नयन, वर्षा, अनीता, सुमन आदि उपस्थित थे।
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