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आगरा, 05 अक्टूबर। आगरा के शाहगंज के नरीपुरा स्थित आर मधुराज हॉस्पिटल में बुधवार तड़के 4:45 बजे भीषण आग लगने से संचालक राजन सिंह, उनकी बेटी सिमरन उर्फ शालू (18) और छोटे बेटे ऋषि (14) की दम घुटने से मौत हो गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया है।
हॉस्पिटल बेसमेंट में संचालित हो रहा है। आग भूतल पर घर के बराबर में बनी दुकान के अंदर रखे फोम और अन्य सामान में लगी। घर में धुआं भरने से परिवार फंस गया।
राजन के पिता गोपीचंद (65), बड़ा बेटा लवी और पत्नी राजरानी के साथ चार मरीज, तीमारदार और कर्मचारी बाहर निकल आए। पुलिस का कहना है कि प्रथम दृष्टया आग शार्ट सर्किट से लगी है। हालांकि जांच की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक नरीपुरा निवासी राजन सिंह के 400 वर्ग गज में बने भवन के बेसमेंट में हॉस्पिटल, जबकि भूतल पर घर बना है। घर के दरवाजे के पास ही एक दुकान है, जिसमें राजन के पिता गोपीचंद अपनी जूता मैटेरियल की दुकान का सामान और फोम रखते थे। हॉस्पिटल का सामान भी रखा रहता है
मंगलवार रात को राजन, पत्नी राजरानी, बेटी सिमरन और बेटे ऋषि के साथ अंदर के कमरे में सो रहे थे, जबकि उनके पिता घर के गेट के पास बड़े बेटे लवी के साथ सो रहे थे। रात में राजन के बहनोई तेजवीर भी रुके हुए थे। हॉस्पिटल में नर्स स्नेहा, कंपाउंडर लोकेश के अलावा सफाई कर्मी और चार मरीज के साथ तीमारदार भी थे।
एसी के पास से उठ रही थीं लपटें
तड़के तकरीबन 4:45 बजे दुकान के शटर की आवाज सुनकर गोपीचंद की आंख खुली। उन्होंने बताया कि वह बाहर आए तो दुकान के अंदर से घर की तरफ बने एसी लगाने की जगह से आग की लपटें उठती देखीं। धुआं भी अंदर आ रहा था। उन्होंने मुख्य दरवाजा खोलकर दुकान का शटर उठाया। उसमें फोम में आग लगी थी। यह देखकर शोर मचाया। लवी बाहर आ गया। कुछ देर बाद बेटा राजन और तेजवीर भी आ गए।
हॉस्पिटल से कर्मचारी, मरीज और तीमारदार बाहर भाग गए। बाद में बहू निकलकर आई। मगर, ऋषि और सिमरन बाहर नहीं आ सके। वह अंदर ही फंस गए। इसका पता चलने पर राजन अंदर गया। मगर, वो भी धुएं में बेहोश हो गए। बाद में पुलिस आ गई। तब कहीं पहले राजन व सिमरन को बाहर लाए। बाद में ऋषि को निकाला। वह बाथरूम में पड़ा हुआ था। उन्हें अस्पताल ले गए, जहां तीनों को डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। घटना से परिवार में कोहराम मच गया।
हॉस्पिटल से कर्मचारी, मरीज और तीमारदार बाहर भाग गए। बाद में बहू निकलकर आई। मगर, ऋषि और सिमरन बाहर नहीं आ सके। वह अंदर ही फंस गए। इसका पता चलने पर राजन अंदर गया। मगर, वो भी धुएं में बेहोश हो गए। बाद में पुलिस आ गई। तब कहीं पहले राजन व सिमरन को बाहर लाए। बाद में ऋषि को निकाला। वह बाथरूम में पड़ा हुआ था। उन्हें अस्पताल ले गए, जहां तीनों को डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। घटना से परिवार में कोहराम मच गया।
जान बचाने को लगाते रहे गुहार
सुबह जब आग लगी तो चीख-पुकार मच गई। अस्पताल संचालक का परिवार घर में फंसा हुआ था। जान बचाने की गुहार लगा रहे थे। अंधेरा और धुआं मुश्किल बना हुआ था। इसके बाबजूद मदद के लिए कई लोग दौड़ आए। एक-एक करके अंदर फंसे सभी लोगों को बाहर निकाला। उम्मीद थी कि सभी सुरक्षित होंगे। मगर, जब उन्हें डॉक्टर ने अस्पताल संचालक राजन और उनकी बेटी सिमरन और बेटा ऋषि को मृत घोषित किया, तब मदद के लिए आने वाले भी गम में डूब गए। उन्हें इस बात का अफसोस था कि वे लोग उनकी जान नहीं बचा पाए।
सबके मन में सवाल आखिर कैसे लगी आग
बड़ा सवाल यह है कि आग कैसे लगी? मृतक संचालक के पिता ने आग लगने के पीछे साजिश की आशंका जाहिर की है। इसकी शिकायत पुलिस से भी की है। हालांकि पुलिस ने फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम को बुलाकर साक्ष्य जुटाए हैं। इसकी रिपोर्ट अभी मिलना बाकी है। अग्निशमन विभाग प्रथम दृष्टया मामला शॉर्ट सर्किट से आग लगने का मान रहा है, लेकिन जांच के बाद ही सही कारण बताने की बात कही है। एसपी सिटी विकास कुमार का कहना है कि जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट होगा।
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घटनास्थल पर प्रत्यक्षदर्शियाें से बातचीत करते एसएसपी प्रभाकर चौधरी। |
एसएसपी प्रभाकर चौधरी भी मौके पर पहुंचे। एसएसपी ने बताया कि तीन मरीज फंस गए थे। इन्हें दमकल कर्मियों की मदद से बाहर निकाला गया। तीनों मरीजों की हालत गंभीर है। इन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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