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अगर आपको डायबिटीज है तो है खून की नलियों में रुकावट का खतरा भी अधिक है



न्यूज़ स्ट्रोक

आगरा, 08 अक्टूबर। यदि आप 10 वर्ष से डायबिटीज से पीड़ित हैं तो आपको सामान्य लोगों के बजाय 25 प्रतिशत वैस्कुलर बीमारियों (खून की नालियों में रुकावट) का खतरा अधिक है। यदि 15 वर्ष से डायबिटीज है तो यह प्रतिशत आपमें 40 तक बढ़ चुका है। डायबिटीज की राजधानी माने जाने जाने वाले भारत में लगभग 70 मीलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। इसमें लगभग आठ प्रतिशत लोग खून की नलियों में रुकावट की समस्या से पीड़ित हैं।
यह बात वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्यों में एक चेन्नई से आए डॉ. शेखर ने अपने लेक्चर में बताई। होटल ताज कन्वेन्शन में आयोजित द वस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया की 29वीं राष्ट्रीय कार्यशाला में आज 60 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए व वैरिकोज वेन्स, डायलिसिस के मरीजों के लिए बनाया जाने वाले एवी फिस्टुला, एरोटिक एनेयुरिज्म, डीप वेन थ्रोमबोसिस, डायबिटिक फुट अल्सर जैसे विषयों पर लेक्चर हुए।
डॉ. शेखर ने कहा कि डायबिटीज रोगियों को अपनी कोलेस्ट्रोल और बीपी ठीक रखने के साथ किसी भी रूप में तम्बाकू के सेवन से बचना चाहिए। डायबिटीज के साथ तम्बाकू का सेवन समस्या को खतरनाक स्तिति में पहुंचा सकता है। समस्या का प्रारम्भिक स्तिति में पता चल जाए तो एंटी कोलेस्ट्रोल व न्य दवाओं से बीमारी को ठीक किया जा सकता है। अन्यता रुकावट वाले स्थान पर सर्जरी या स्टन्ट डालने की नौबत आ सकती है।  

एम्स में भी नहीं वैस्कुलर सर्जरी की सुविधाः डॉ. तपिश

आगरा। आयोजन समिति के सचिव तपिश साहू ने बताया कि वैस्कुलर सर्जन की कमी के कारण एम्स में भी वैस्कुलर सर्जरी की सुविधा नहीं है। भारत की आबादी को देखते हुए 2-3 लाख वैस्कुलर सर्जन की जरूरत है, लेकिन देश भर में सिर्फ 750 वैस्कुलर सर्जन है। 

कारगिल युद्ध के दौरान किया था 1600 जवानों का इलाजः डॉ. कुमुद राय

आगरा। आर्मी के जवानों को स्वास्थ्य सेवाएं देने के बाद अब दिल्ली में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे वैस्कुलर सर्जन डॉ. कुमुद राय ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने 1600 जवानों का इलाज किया। जिसमें 34 जवानों की वैस्कुलर सर्जनी करनी पड़ी थी। सिर्फ एक जवान का पेर काटने के अलावा सभी 33 जवानों को ठीक किया गया। उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक होने के बाद का एक घंटा, ब्रेन स्ट्रोक के बाद 3 घंटा और पैर में अटैक होने के बाद के 6 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

13 सर्जन से शुरु हुई सोसायटी आज वटवृक्ष बनीः डॉ. अभिजात सेठ

आगरा। 1994 में 13 सर्जन के साथ गठित हुई द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया आज 750 वैस्कुलर सर्जन के साथ वटवृक्ष बन चुकी है। एम.सीएच और डीएनबी डिग्री के लिए 26 इंस्टीट्यूट फुल टाइम ट्रैनिंग दे रहे हैं। यह गर्व की बात है कि आज हमारे देश के वैस्कुलर सर्जन विश्वस्तर पर पहचान बना रहे हैं। द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित विसीकोन 2022 (VSICON-2022) के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के अध्यक्ष प्रो. अभिजात सेठ ने कही।


अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के सचिव डॉ. तपिश साहू ने किया। मंचासीन अतिथियों में विशिष्ठ अतिथि अभिनेता नवाब शाह, अभिनेत्री पूजा बत्रा, सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. उन्नी कृष्णन, सचिव विजय ठाकुर, आयोजन समिति के अध्यक्ष वीएस वेदी, सचिव तपिश साहू थे इस अवसर पर उपाध्यक्ष डॉ. संदीप अग्रवाल, प्रसीडेन्ट इलेक्ट डॉ. पीसी गुप्ता, कोषाध्यक्ष डॉ. अपूर्व श्रीवास्तव, मायो क्लीनिक की डॉ. मंजू कालरा, यूके डान कैस्टर से डॉ. नन्दन हल्दीपुर, यूके से डॉ. रघु लक्ष्मी नारायण, मस्कट से डॉ. एडविन स्टीफन, डॉ. केआर सुरेश, डॉ. रघु लक्ष्मी नारायण, डॉ. सात्विक, डॉ. आशुतोष पांडे आदि मौजूद  थे।

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