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लाइफ स्टाइल डेस्क, 22 नवम्बर। अगर आप ज्यादा हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं या फिर तेज संगीत सुनते हैं तो यह पूरी खबर आपके लिए है। यह आदत आपको बहरा बनाने के लिए काफी है। जी हां, दुनिया भर के एक अरब से ज्यादा युवाओं पर बहरे होने का खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद इसके लिए हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल और ऊंची आवाज वाले संगीत समारोहों को जिम्मेदार माना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में हुई इस रिसर्च के बाद युवाओं से अपने सुनने की आदत के प्रति ज्यादा सावधान रहने को कहा गया है।
अध्ययनों में 12 से 34 साल की उम्र के 19,000 प्रतिभागी शामिल हुए
बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में छपे रिसर्च रिपोर्ट बीते दो दशकों में अंग्रेजी, स्पैनिश, फ्रेंच और रूसी भाषा में छपी 33 अध्ययनों का विश्लेषण करने का बाद तैयार की गई है। इन अध्ययनों में 12 से 34 साल की उम्र के 19,000 प्रतिभागी शामिल हुए. रिसर्च में पता चला कि 24 फीसदी युवा खतरनाक स्तर की ध्वनि के संपर्क में हैं। इसका कारण है स्मार्टफोन जैसे उपकरणों के साथ हेडफोन के इस्तेमाल में खतरनाक स्तर की ऊंची आवाज में संगीत या कुछ और सुनना। इनके अलावा 48 फीसदी युवा जो कंसर्ट या फिर नाइटक्लबों में मनोरंजन के लिए जाते हैं वो भी वहां की ऊंची आवाज वाली संगीत या शोर के कारण खतरे की जद में हैं। इन दोनों आंकड़ों को मिला दिया जाये तो दुनिया भर में 670,000 से 1.35 अरब युवा आबादी बहरेपन का खतरा झेल रही है।
रिसर्च रिपोर्ट की शीर्ष लेखिका और साउथ कैरोलाइना की मेडकिल यूनिवर्सिटी में ऑडियोलॉजिस्ट लॉरेन डिलार्ड का कहना है कि प्रभावित लोगों का दायरा इतना बड़ा इसलिए है क्योंकि बहुत से युवा संभवतः पहले से ही इन दोनों खतरों की चपेट में हैं। डिलार्ड ने कहा कि हेडफोन के कारण बहरेपन के जोखिम से लोगों को बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि लोग इसे कम आवाज पर और कम देर के लिए सुनें। डिलार्ड ने माना, "दुर्भाग्य से लोग बहुत तेज आवाज में संगीत सुनना पसंद करते हैं।"
डिलार्ड की सलाह है कि हेडफोन इस्तेमाल करने वालों को स्मार्टफोन में सेटिंग्स या ऐप्स का इस्तेमाल कर आवाज के स्तर पर नजर रखनी चाहिए। तेज आवाज वाले वातारण में शोर से बचाने वाले हेडफोन मदद कर सकते हैं। ये होडफोन बैकग्राउंड से आने वाली आवाज में संगीत की आवाज को दबने से रोकते हैं। उनका यह भी कहना है कि बहुत तेज संगीत वाले कंसर्ट या नाइटक्लबों में लोगों को इयरप्लग का इस्तेमाल करना चाहिए। डिलार्ड ने कहा, "शायद इसमें मजा आता हो लेकिन स्पीकर के सामने बैठना, दीर्घकालीन स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा नहीं है। ये सारी आदतें और संपर्क पूरे जीवन के दौर में आप पर असर डाल सकते हैं और जब आप 67 साल के होंगे तो इनका आप पर बड़ा असर हो सकता है।
सरकारों और कंपनियों से मांग
डिलार्ड ने सरकारों से मांग की है कि वह डब्ल्यूएचओ के सुरक्षित रूप से सुनने के बारे में जारी दिशानिर्देशों का पालन कराएं. इसमें संगीत बजने वाली जगहों और संगीत के स्तर पर भी नजर रखी जाये। उन्होंने फोन जैसे उपकरण बनाने वाली कंपनियों से मांग की है कि वो सुनने वालों को आवाज जरूरत से ज्यादा तेज होने पर चेतावनी दें।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया भर में करीब 43 करोड़ यानी कुल आबादी के 5 फीसदी लोगों को सुनने की समस्या है। अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक यह संख्या 70 करोड़ लोगों तक जा सकती है। (DW से साभार )
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