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सम्मेद शिखरजी के लिए जैन मुनि समर्थ सागर ने त्यागे प्राण, चार दिन में प्राण देने वाले दूसरे संत



न्यूज़ स्ट्रोक
जयपुर, 06 दिसंबर। झारखंड में स्थित जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखर ( Sammed Shikhar ) के लिए एक और जैन मुनि ने अपने प्राण त्याग दिए। गुरुवार देर रात एक बजे मुनि समर्थ सागर (Samarth Sagar) का निधन हो गया। चार दिन में ये दूसरे संत हैं, जिन्होंने अपनी देह त्याग दी है। इससे पहले मुनि सुज्ञेय सागर महाराज ने सम्मेद शिखर के लिए अपने जान दे दी थी। झारखंड सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित कर दिया है। उसके इस कदम का देश और दुनिया का जैन समाज विरोध कर रहा है.जैन समाज का कहना है कि झारखंड समाज के इस कदम से सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को खतरा है।
मुनि समर्थ सागर जयपुर के सांगानेर स्थित संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर में आमरण अनशन कर रहे थे.उन्होंने तीन दिन से अन्न का त्याग कर रखा था. सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में इसी मंदिर में जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने 3 दिसंबर मंगलवार को प्राण त्यागे थे।
मंदिर में आचार्य सुनील सागर महाराज प्रवास पर हैं। उनके सानिध्य में ही मुनि समर्थ सागर को जैन रीति-रिवाजों के साथ आज समाधि दी जाएगी. समर्थ सागर महाराज की डोल यात्रा संघी जी मंदिर से विद्याधर नगर जाएगी। मंदिर सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार की सुबह एक बजे जैन मुनि समर्थ सागर ने अपनी देह त्याग दी। इन्होंने श्री सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपनी देह का बलिदान दिया है। उनका यह बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा।
समर्थ सागर महाराज आचार्य सुनील सागर महाराज के ही शिष्य हैं। इससे पहले जब सुज्ञेयसागर महाराज ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था तब समर्थ सागर जी ने धर्मसभा के दौरान अनशन का संकल्प लिया था। उसी समय से वह उपवास पर चल रहे थे।
केंद्र सरकार का ऑर्डर गुमराह करने वाला'
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि सम्मेद शिखर जैन तीर्थ जैन समाज और साधु समाज में कितना महत्व रखता है, इसका अंदाजा ना केंद्र सरकार लगा रही है और ना ही झारखंड सरकार लगा रही है। पिछले 4 दिनों में मुनि समर्थ सागर महाराज दूसरे मुनिराज हैं, जिन्होंने सम्मेद शिखर जी को लेकर अपना देह त्यागा है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने जो ऑर्डर जारी किया है, वह केवल जैन समाज को गुमराह करने के लिए जारी किया है। जिसका फायदा सत्ता के बल पर उठाया जा रहा है।
अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि जो ऑर्डर जारी किया है, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। क्योंकि केंद्र सरकार ने ना 2 अगस्त 2019 का गजट नोटिफिकेश रद्द किया और ना ही 'पर्यटक' शब्द हटाया। ना ही तीर्थ स्थल की घोषणा की। इसके अलावा जो इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था, केवल उस पर रोक लगाई है, जबकि उसे रद्द करना था। झारखंड और केंद्र सरकार पत्रबाजी कर केवल फुटबाल मैच खेल रही है किंतु जैन समाज इनके षड्यंत्रों से गुमराह नहीं होगा और आंदोलन यथावत जारी रहेगा।
'मांगें नहीं मानी तो जैन समाज देह त्यागने से पीछे नहीं हटेगा'
उन्होंने कहा कि मुनि सुज्ञेय सागर महाराज और मुनि समर्थ सागर महाराज के बलिदान को भुलाया नहीं जाएगा। सम्मेद शिखर जैन तीर्थ था, है और रहेगा। केंद्र और झारखंड सरकार को 'तीर्थ स्थल' हर हाल में घोषित करना ही होगा। अगर सरकार ने समाज की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो जैन समाज मुनिराजों के मार्गों पर चलकर अपने देह त्यागने से पीछे बिल्कुल भी नहीं हटेगा।

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