न्यूज स्ट्रोक
नई दिल्ली, 04 दिसंबर। यह पहली बार होगा जब पाकिस्तानी हिंदू (pakistani hindu) अपने मृतक रिश्तेदारों की अस्थियां हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित करें पाएंगे। इन मृत हिंदुओं का अंतिम संस्कार पाकिस्तान में किया गया थाऔर उनकी अस्थियों को वहां के मंदिरों में रखा गया है।
हिंदू धर्म के अनुसार अगर इन अस्थियों को हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है तो उनकी आत्माएं स्वर्ग में पहुंच जाएंगी और उन्हें ‘मोक्ष’ मिल जाएगा।
स्पॉनसरशिप नीति में बदलाव
अब तक किसी भी पाकिस्तानी हिंदू (PAkISTANI HINDU) तीर्थयात्री (PILGRIM) को बिना प्रायोजक के भारत में आने की अनुमति नहीं थी। पाकिस्तानी हिंदू अपने मृतक रिश्तेदार की अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित करने के लिए तभी ला सकता था जब भारत में रहने वाले किसी रिश्तेदार या परिचित ने इसकी जिम्मेदारी ली हो।
चूंकि अधिकांश पाकिस्तानी हिंदुओं का भारत में कोई रिश्तेदार नहीं है, इसलिए मृत व्यक्ति की अंतिम इच्छा को पूरा करना मुश्किल था। नरेंद्र मोदी सरकार ने स्पॉनसरशिप नीति में संशोधन किया है, जिसके तहत अब पाकिस्तानी हिंदू मृतक का कोई रिश्तेदार 10 दिन के वीजा पर भारत आ सकता है और गंगा नदी में उसकी अस्थियां को विसर्जित कर सकता है। इस तरह पाकिस्तानी हिंदुओं की बड़ी और आखिरी इच्छा पूरी हो जाएगी।
भारत की पहल की सराहना
यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान और भारत के बीच 2019 से संबंध तनावपूर्ण हैं। यहां तक कि दोनों देशों के बीच व्यापार भी ठप्प है। हालात यह हैं कि दोनों देशों के नागरिकों को वीजा मिलना लगभग नामुमकिन है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी हिंदुओं ने स्पॉनसरशिप नीति में संशोधन और मोदी सरकार की पहल की सराहना की है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने संकेत दिया है कि मृत हिंदू के परिवारों के सदस्यों को अस्थियां विसर्जित करने के लिए 10 दिन का वीजा दिया जाएगा।
कराची के सोल्जर बाजार में श्री पंजमुखी हनुमान मंदिर के प्रभारी रामनाथ ने इस पर खुशी जताते हुए पाकिस्तानी मीडिया से कहा, उन्होंने हमें एक बहुत अच्छी खबर दी है कि प्रायोजन की शर्तें हटा दी गई हैं।
उन्होंने कहा कि अपनों की अंतिम इच्छा पूरी करना हर पाकिस्तानी हिंदू का मौलिक अधिकार है और भारत ने इसे मान्यता देकर बहुत अच्छा काम किया है।
रामनाथ ने कहा कि यह तीसरी बार होगा जब हिंदुओं की अस्थियां पाकिस्तान से भारत ले जाई जाएंगी, लेकिन यह पिछले वाले से अलग होगी क्योंकि इस बार हर मृतक का परिवार अस्थियों को हरद्वार ले जाकर विसर्जित करेगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 2011 से 2016 के बीच पाकिस्तान से 295 हिंदुओं की अस्थियां वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंची थीं। पाकिस्तान में अधिकांश हिंदुओं ने अपने रिश्तेदारों की अस्थियों को अलग-अलग मंदिरों में इस उम्मीद में संरक्षित किया है कि एक दिन उन्हें भारत जाकर गंगा नदी में उसे विसर्जित करने का मौका मिलेगा।
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