समाज कल्याण के लिए हुआ शिव और पार्वती विवाह: पंडित भरत उपाध्याय

लंगड़े की चौकी स्थित राज पब्लिक स्कूल में चल रही राम कथा के दौरान आरती करते राजेश शर्मा, गोविंद गुरु, गोपी गुरु, लालू जादौन एवं अन्य।

👉लंगड़े की चौकी स्थित श्री राज पब्लिक स्कूल में चल रही रामकथा के दूसरे दिन किया गया शिव विवाह का रोचक वर्णन 

न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 13 मार्च । लंगड़े की चौकी स्थित श्री राज पब्लिक स्कूल परिसर में जारी श्रीराम कथा के दूसरे दिन सोमवार को कथा व्यास पंडित भरत उपाध्याय ने शिव विवाह की कथा सुनाई।
कथा व्यास ने सती-शिव विवाह की कथा, पार्वती से शिव विवाह की कथा का रोचक वर्णन किया। पंडित भरत उपाध्याय ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले सती से विवाह किया था। भगवान शिव का यह विवाह बड़ी जटिल परिस्थितियों में हुआ था क्योंकि सती ने शिव को अपना पति मान चुकीं थी लेकिन उनके पिता राजा दक्ष इस विवाह के खिलाफ थे।
हालांकि उन्होंने अपने पिता ब्रह्मा के कहने पर सती का विवाह भगवान शंकर से कर दिया। राजा दक्ष ने दिव्य यज्ञ में अपने दामाद भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया और सभी देवताओं के समक्ष उनका अपमान भी करने लगे, पति का तिरस्कार देख देवी सती ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर लिया था। 
सती के वियोग में शिव घोर तपस्या में लीन हो गए। उस समय तारकासुर नाम के राक्षस का आतंक बढ़ चुका था। उसे ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु सिर्फ शिव की संतान के हाथों ही हो सकती है। सभी ने शिव से पार्वती संग विवाह की गुहार लगाई लेकिन भगवान शंकर नहीं माने। कोई उनकी तपस्या भंग नहीं कर पाया। इस पर खुद पार्वती ने तपस्या की और प्रभु श्री राम ने भगवान के हृदय से खुद को दूर कर लिया। इससे शिव की तपस्या भंग हुई और वह अपने ईश्वर श्रीराम से दूर नहीं रह सकते थे, इसलिए वह विवाह के लिए राजी हो गए। 
मुख्य अतिथि श्री परशुराम शोभायात्रा समिति के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने आरती की। इस अवसर पर लालू जादौन, चेतन शर्मा, लंगड़े की चौकी मंदिर के महंत गोपी गुरु, समान अधिकार पार्टी के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, रामनिवास गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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