बसंत पंचमी: जानिए इतना अहम क्यों है इस दिन पीला रंग

 खुशियों भरा पर्व बसंत पंचमी



 दीप्ति जैन 
संत पंचमी माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाने वाला हिंदू त्योहार है। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इसे 'श्री पंचमी' भी कहते हैं। यह त्योहार पूर्वी भारत, उत्तर पश्चिमी, बांग्लादेश , नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन पीले रंग का बहुत महत्व है ।
इस बार बसंत पंचमी कल यानी 5 फरवरी को त्रिवेणी योग में मनाई जाएगी। सिद्ध साध्य और रवि योग के चलते इस बार बसंत पंचमी शिक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले लेने और शिक्षा शुरू करने के लिए अहम मानी जा रही है।

पीले रंग का विशेष महत्व 
बसंत के मौसम में पूरा वातावरण व प्रकृति पीली स्वर्ण रूपी सरसों की फसल से खिल उठती है। जौ और गेहूं व आम के पेड़ों पर बौर आ जाती है । यह त्योहार बसंत ऋतु के स्वागत हेतु जश्न के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। भारतीय परंपरा मे हर तीज त्योहार नई फसल के स्वागत हेतु मनाया जाता है ।
इस दिन हर व्यक्ति पीले रंग के वस्त्र धारण करता है। पीला रंग वैष्णव धर्म व ज्ञान का प्रतीक है। पीला रंग सत्वगुण का प्रतीक हैं । पीले रंग का प्रयोग व्यक्ति को ज्ञानवान, विवेकी व उदार बनाता है। 
आधुनिक वास्तु अनुसार यह रंग खांसी जुकाम , लिवर , अपज, पीलिया, कमज़ोर तंत्रिका तंत्र, गैस, सूजन , तिल्ली के रोगों आदि के उपचार में प्रयुक्त होता है । पीले रंग की वस्तु या वस्त्र के उचित प्रयोग व विशेषज्ञों की सलाह से गम्भीर बीमारियों का उपचार संम्भव है ।
ज्योतिष अनुसार यह रंग गुरु ग्रह का प्रतीक है। बसंत पंचमी का यह पर्व अपने गुरु ग्रह को शुद्धि प्रदान करने का सुनहरा अवसर है। बसंत पंचमी के दिन उपलिखित समस्या से पीड़ित जातक भगवान विष्णु व मां सरस्वती की पूर्ण श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करता है , तो उसे उचित लाभ होता है।

कैसे करें पूजन 
भगवान विष्णु व मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के आसन पर विराजित करें । पीले रंग के वस्त्र अर्पण करें । हरसिंगार या गेंदे के पुष्प चढ़ाएं । हरसिंगार की मीठी सुगंध वातावरण में पंच तत्वों मे  संतुलन बनाने मे सहायक हैं। शारीरिक व मानसिक विकास होता है । आर्थिक स्थिति व सम्बन्धों मे सुधार आता है ।
चंदन का टीका लगाएं तथा चंदन की धूप जलाएं। चंदन की खुशबू से वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है । एकाग्रता बढ़ती है । शुद्ध देशी घी में हरसिंगार का इत्र डालकर दीप जलाएं। घी के दीपक जलने से शुक्र ग्रह शुद्ध होते है । तथा हरसिंगार के इत्र का दीपक पूरे वातावरण को संतुलित करता है । पीले मीठे चावल का भोग लगाएं। पीले चावल का दान व्यक्ति के गुरू व चंद्र ग्रह का शोधन करते हैं। इस प्रसाद का ज्यादा से ज्यादा लोगों में वितरण करें। इस दिन पपीते व केले का दान शुभ फल देता है। इस दिन अपने गुरु से आशीष अवश्य लें। उन्हें पीले रंग के वस्त्र दान करे। अपने घर की उत्तर व उत्तर पूर्व दिशा में पीले रंग का फूल का पौधा लगाएं।

 पढ़ाई में मन ना लगे तो क्या करें
जिन विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन नहीं लगता ,उनके लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें । दीप धूप जलाएं । पीले रंग के पुष्प  अर्पण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने , एक पीले रंग के कागज़ पर लाल रंग के कलम से ग्यारह या इक्कीस बार  मां सरस्वती का यह मंत्र लिखे।

                  'ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः'
चंदन का टीका मां के व स्वयं की भृकुटी के मध्य लगाएं। मां सरस्वती के आशीष से विद्यार्थी ज्ञानवान व एकाग्रचित्त बनता है।
                                        दीप्ति जैन
                           आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ

Post a Comment

0 Comments