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चंद्र प्रकाश सोनी मेघराज दियालानी |
- 14 अगस्त 1947 की काली रात को लाखों ने झेला था बंटवारे का दंश
- सिंधियों व पंजाबियों को देना पड़ा था बलिदान, कर दिए गए दर-बदल
न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 13 अगस्त। वर्ष 1947 की वह काली रात जो सिंधियों और पंजाबियों पर कहर बनकर टूटी थी। उसका दर्द आज भी सिंधियों और पंजाबियों के दिलों में आज भी कायम हैं। जिन पुरखों ने बंटवारे के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया था, उन्हें कल समाज मोमबत्तियां जलाकर नमन करेगा। उनके बलिदान को याद करेगा, जिसकी वजह से आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
वर्ष 1947 लाखों लोगों को रातों-रात दर-बदर कर दिया गया था। माताओं ने अपने लालो को खोया, बहनों ने अपने भाइयों को खोया। खूली संघर्ष में मासूम बच्चों को भालों की नोक पर उछाला गया। माताओं-बहनों की इज्जत लूट ली गई। सिंधी और पंजाबी समाज उन्हें नमन करने के लिए कल (आज) अपने घरों और प्रतिष्ठान्नों पर मोमबत्तियां जलाएगा।
सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सोनी के अनुसार पुरखों का बलिदान सिंधी समाज हमेशा याद रखेगा। करीब 10 लाख से भी ज्यादा भाई बहन शहीद हुए थे। उन्होंने अपील की कि समाज के लोग अपने घरों पर तिरंगा जरूर लहराएं। पंजाबी महासभा के अध्यक्ष सर्व प्रकाश कपूर (अशोक) ने भी पंजाबी समाज के लोगों से अपील की है।
अपील करने वालों में मुख्य संरक्षक जीवतराम करीरा, गागनदास रामाणी, घनश्यामदास देवनानी, परमानंद आतवानी, मेघराज दियालानी, जयरामदास होतचंदानी, जेठा पुरसनानी, नंदलाल आयलानी, राज कोठारी,सुशील नौतनानी, किशोर बुधरानी, राज कुमार गुरनानी, दौलत खूबनानी, भजनलाल, जगदीश डोडानी, लक्ष्मण गोकलानी, जय प्रकाश केसवानी, अशोक पारवानी, जयकिशन बुधरानी, अमृत माखीजा, अशोक कोडवानी रोहित अयलानी, कमल छाबरिया, दीपक अतवानी, योगेश रखवानी आदि प्रमुख रहे।
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