जनपदीय बालिका तैराकी प्रतियोगिता के लिए सिर्फ चार लड़कियां पहुंचीं, वह भी हो गईं डिसक्वालीफाई

 बालक वर्ग की विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान करते अतिथि गण।


बालक वर्ग में आरबीएस इंटर

कॉलेज विजेता और एमडी जैन

कॉलेज रहा उपविजेता 


न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 10 अगस्त । जनपदीय माध्यमिक विद्यालयीय बालक एवं बालिका अंडर-14, 17 और 19 प्रतियोगिता एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम आगरा पर आयोजित हुई। बालक वर्ग में आरबीएस इंटर कॉलेज की टीम विजेता रही। बालिका वर्ग में प्रतिभाग के लिए दो स्कूलों की केवल चार छात्राएं पहुंची लेकिन  कोई भी प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई ही नहीं कर पाई। 
इससे पूर्व  प्रतियोगिता का शुभारंभ जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार ने किया। प्रतियोगिता में बालक वर्ग में 11 विद्यालयों की टीमों ने प्रतिभाग किया, जिसमें 51 छात्रों की प्रतिभागिता रही। बालिका वर्ग में केवल राजकीय हाई स्कूल ब्लेहरा और जॉय हैरिस गर्ल्स इंटर कॉलेज केवल दो टीमों की चार छात्राओं ने प्रतिभाग किया। हालांकि है प्रतियोगिता हुई नहीं पाई क्योंकि सभी खिलाड़ी डिसक्वालीफाई हो गईं।
बालक वर्ग में विजेता टीम आरबीएस इंटर कॉलेज आगरा रही। उपविजेता एमडी जैन इंटर कॉलेज रहा। तीसरे स्थान पर नेशनल मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल खंदारी आगरा रहा। 
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में राजेश गुप्ता, के पी सिंह यादव, रवि प्रकाश, सौरव सिंह व रामकुमार रहे। पुरस्कार वितरण डॉ. अनिल वशिष्ट व संयोजक प्रधानाचार्य सुरेश सिंह चाहर ने किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ राम अवतार, डॉ. रक्षापाल  त्यागी, कुलदीप जैन, डॉ. चतुर सिंह, प्रशांत सिंह, हरपाल सिंह चाहर, पंकज शर्मा, पंकज कुमार, दिग्विजय सिंह, रीनेश मित्तल, अशोक बघेल, ज्ञानेंद्र यादव, जनार्दन राणा, विपिन  निगम, सरिता यादव, रमा शर्मा,विजेंद्र सिंह सोलंकी, श्वेता सिंह चारक, मनमोहन चाहर बिजेंद्र कुमार , कुलदीप सिंह, पूनम राठौर आदि उपस्थित रहे।
सभी का धन्यवाद ज्ञापन बालिका वर्ग की प्रतियोगिता की संयोजिका प्रधानाचार्या डॉ. नीलम चतुर्वेदी ने किया।

जब विद्यालयों में लड़कियां तैराकी के
लिए है ही नहीं तो प्रतियोगिता क्यों

माध्यमिक विद्यालयों की खेल प्रतियोगिताओं में अक्सर ऐसा होता है जब एक या दो टीमें ही पहुंचती है। जबकि यूपी बोर्ड से संबंधित सैकडों स्कूल जनपद में संचालित हैं। अभी हाल ही में सुब्रतो कप फुटबॉल प्रतियोगिता में भी एक-एक मैच खेलकर टीम जनपद की चैंपियन बन गई बालिका वर्ग की तैराकी में भी यही हुआ। क्या अधिकारियों और स्कूलों को पता नहीं कि इस खेल में बालिकाओं की क्या स्थिति है? अगर पता था तो यह प्रतियोगिता आयोजित ही क्यों की गई? आखिर ऐसी खानापूर्ति से क्या लाभ? संयोजक विद्यालय तक अपनी टीम नहीं भेज पाते। 

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