इश्क पश्मीना : न कहानी में दम, न एक्टिंग में, फ्लॉप रही फिल्म

 

न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा मुंबई/ दो दिन पहले 23 सितंबर को रिलीज हुई रोमांटिक फिल्म इश्क पश्मीना को दर्शकों का प्यार नहीं मिला। इश्क पश्मीना बॉलीवुड रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसके लेखक और निर्देशक अरविन्द पांडे हैं।  इस फिल्म में भाविन भानुशाली और मालती चाहर लीड रोल में हैं। फिल्म फ्लॉप रही। मालती चाहर आगरा की निवासी और  टीम इंडिया के क्रिकेटर दीपक चाहर की बहन हैं।
फ़िल्म रोमांटिक जरूर है लेकिन इसकी कहानी घिसे पिटे और बरसों से देखे जा रहे ट्रैक पर ही है । डायरेक्टर और प्रोड्यूसर  का ध्यान केवल फिल्म में अच्छे लोकेशन दिखाने पर रहा है। एक अच्छे सीनरी की तरह दिखते हैं फिल्म के ज्यादातर दृश्य। 
हालांकि फिल्म के गाने अच्छे हैं। 'बेखबर थे हम और प्यार की खबर मिली'...' दिल तेरे प्यार में जोगी हो गया...' और  'पूरे 2 घंटे लग गए सजना तैयार होने में...' गीत उस दौर से मेल खाते हैं जब गीतकार समीर, नदीम श्रवण, कुमार सानू और उदित नारायण जैसे लोग अपने चरम पर थे। संगीतकार और गीतकार शाम बलकार ने अपना काम अच्छी तरह से किया है। जावेद अली,  प्रतीक्षा श्रीवास्तव, पलक मुच्छल और साक्षी होल्कर ने मधुर आवाज में सभी गीतों के साथ न्याय किया है।
फिल्म के हीरो भाविन भानुशाली और हीरोइन मालती चाहर एक्टिंग में कमाल नहीं दिखा पाते। भाविन के मुकाबले मालती चाहर तो काफी पीछे रहीं। कई मौकों पर वह खूबसूरत दिखी हैं लेकिन ज्यादातर दृश्यों में सहज नहीं लगतीं। फिल्म कोई कमाल नहीं दिखाती। सुना है कि मालती चाहर को सीता मैया के रोल के लिए एक बड़ी फिल्म करने का ऑफर मिला है लेकिन इससे यह सिद्ध नहीं होता कि इस फिल्म में उनकी एक्टिंग अच्छी है। अभी उन्हें काफी मेहनत करने की जरूरत है।



फिल्म के डायरेक्टर लोकेशन को खूबसूरत दिखाने की बजाय दोनों लीड एक्टर्स  से अच्छी एक्टिंग कराते तो ज्यादा बेहतर होता। फिल्म में हीरो की मां बनी बीते जमाने की जानी-मानी अभिनेत्री जरीना बहाव का काम अच्छा है।वहीं लगभग हर दूसरी फिल्म दिखने वाले बिजेंद्र काला ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। यह दोनों बताते हैं कि एक्टिंग क्या होती है। बिजेंद्र काला खुद में एक्टिंग इंस्टिट्यूट हैं। फिल्म के जिस भी दृश्य में वह आते हैं फिल्मों को संभालते हैं। लेकिन कुल मिलाकर लाख टके की बात यह है कि न कहानी में दम है और ना फिल्म के लीड जोड़ी भाविन और मालती में। कुल मिलाकर फिल्म देखना पैसा बर्बाद करने जैसा है।

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