-अब हृदय की ही नहीं प्रोस्टेट, गभार्शय और घुटने की एंजियोग्राफी भी सम्भव
-द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित (VSICON-2022) में वैस्कुलर बीमारियों पर चर्चा
न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 08 अक्टूबर। द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित (VSICON-2022) राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन भी नसों से संबंधित विभिन्न रोगों पर चर्चा की गई। इसमें बताया गया कि वैस्कुलर सर्जरी ने कई जटिल ऑपरेशनों की सम्भावनाओं को कम कर दिया है।
गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. संदीप अग्रवाल ने बताया कि गर्मी के मौसम में डिहाईट्रेशन और उल्टी दस्त जैसी समस्या भी नसों की बीमारी का कारण बन सकता है। अक्सर मई जून में इस तरह के मरीज आते हैं। डीवीटी (DVT) (डीप वेन थ्रोम्बोसिस) के बारे में बताते हुए कहा कि त्वचा के नीचे चलने वाली नसों को सुपरफीशियल वेन कहते हैं। यह नसें फूल जाती हैं, जिससे ब्लड नीचे से ऊपर नहीं आ पाता, जिसे वेरीकोज वेन कहते हैं। 10 में से 6-7 महिलाओं को जीवनकाल में यह समस्या अवश्य होती है। समस्या को अनेदेखा करने पर नसें फट जाती हैं या रक्त जम जाता है।
डॉ संदीप अग्रवाल ने कहा कि डॉक्टर के पास मरीज तब पहुंचता है जब जख्म बन जाता है, पस पड़ जाता है। 25 वर्ष पहले काटकर ऑपरेशन किया जाता था लेकिन आज लेजर से इलाज सम्भव है। 80-90 प्रतिशत रक्त पैरों में डीप वेन लेकर जाती है। यदि डीप वेन में रक्त जम जाए यानि थ्रोम्बस (डीप वेन थ्रोम्बोसिस) गहराई वाली नस में खून के धक्के का जमना। यह खतरनाक हो सकता है। थक्का हदय से फेफड़ों में पहुंच सकता है।
उन्होंने बताया कि कभी कभी मरीज के मुंह से रक्त भी आने लगता है। अचानक पैर सूज कर मोटा, लाल गरम हो गया। यानि मरीज को डीवीटी है। कुछ मामलो में पैर की मूवमेंट कम हो जाता है। पैर की सिकाई व मालिश बिल्कुल नहीं करनी। सिकाई से त्वचा जल जाने से जख्म बन सकता है। हरे पत्ते की सब्जी में विटामिन के रक्त को गाड़ा करता है इसलिए हरे पत्तेदार सब्सियां नहीं खानी।
धी मक्खन तली चीजें नहीं खानी, हर रोज एक घंटा व्यायाम जरूरी है। पैर और हृदय के बीच में एक फिल्टर लगा दिया जाता है, 10 मिनिट में लग जाता है। फेफड़ों में पहुंच जाए तो पीई (पल्मोनिरी एम्बोलिज्म) एक-दो दिन में क्लाट घुल जाता है।
गर्भाशय करने की नौबत आने पर भी वैस्कुलर सर्जरी बचा सकती है
आगरा। मेदान्ता हॉस्पीटल के डॉक्टर राजीव परख ने बताया कि प्रोस्टेट की समस्या होने पर यदि आप अधिक उम्र या किसी परिस्थिति के कारण ऑपरेशन नहीं कराना चाहते हैं तो वैस्कुलर सर्जरी इसमें आपकी मदद करती है। मीनोपॉज या किसी अन्य कारण से अधिक रक्तस्त्राव के कारण गर्भाशय निकलवाने की नौबत आ जाए तो भी वैस्कुलर सर्जरी के जरिए आप रक्तस्त्राव को बंद कर कर अपने गर्भाशय को बचा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि इसी तरह घुटनों के प्रत्यारोपण की सम्भावना को भी कम किया जा सकता है। यानि अब हृदय के साथ आप प्रोस्टेट, गर्भाशय और घुटने की एंजियोग्राफी भी करा सकते हैं। लगभग 60-70 वर्ष के बाद 70 प्रतिशत पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या होती है। ऐसे में यदि प्रोस्टेट में वैस्कुलर सर्जरी के जरिए तकलीफ देने वाले स्थान पर रक्त नलिका को बंद कर देने पर प्रोस्टेट को ब्लड सप्लाइ न मिलने से वह सिकुड़ जाता है, जिससे यूरिन पास करने में होने वाली तकलीफ खत्म हो जाती है और ऑपरेट कराने से बचा जा सकता है।
डॉ. राजीव परख ने कहा कि इसी तरह अक्सर मीनोपॉज या किसी अन्य कारण से महिलाओं में काफी रक्तस्त्राव होने लगता है। कई बार विकल्प सिर्फ गर्भाशय को निकलवाना ही नजर आता है। यदि महिला की उम्र कम है या फिर वह गर्भाशय निकलने पर मानसिक व शारीरिक समस्या होने के चलते गर्भाशय नहीं निकलवाना चाहती तो वैस्कुलर सर्जरी मदद करती है। घुटने के प्रत्यारोपण कराने से बचा जा सकता है।
गर्भावस्था के बाद अवश्य कराएं अपनी रक्तनलिकाओं की जांच
आगरा। पूना से आए डॉ. धनेश कामरेकर ने बताया कि गर्भावस्था के बाद लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं में वैरीकोज वेन्स या रक्त नलिकाओं से सम्बंधिक अन्य समस्या देखने को मिलती है। वजह गर्भावस्था के दौरान गर्भ की नलिकाओं के फूलने के कारण पैरों से रक्त को ऊपर आने में परेशानी होती है। वैस्कुलर समस्या को लम्बे समय तक नजरअंदाज करने से गैंगरीन की समस्या बन सकती है। जिसमें पैर की अंगुली से शुरु हुआ कालापन पैरों में ऊपर तक पहुंचने लगता है। पैरों में दर्द तो सबको होता है, लेकिन लेकिन चलने पर पैरों में दर्द होना मतलब धमनियों में ब्लाकेज और खड़े रहने पर पैरों में दर्द होना मतलब रक्त शिराओं में परेशानी का संकेत हो सकता है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. वीएस बेदी, सचिव डॉ. तपिश साहू, उपाध्यक्ष डॉ. संदीप अग्रवाल, प्रसीडेन्ट डॉ. पीसी गुप्ता, कोषाध्यक्ष डॉ. अपूर्व श्रीवास्तव, मायो क्लीनिक की डॉ. मंजू कालरा, यूके डान कैस्टर से डॉ. नन्दन हल्दीपुर, यूके से डॉ. रघु लक्ष्मी नारायण, मस्कट से डॉ. एडविन स्टीफन, डॉ. केआर सुरेश, डॉ. सात्विक, डॉ. आशुतोष पांडे आदि मौजूद थे।
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