राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अहम उद्देश्य भारत को फिर से विश्व गुरु बनाना

सेमिनार को संबोधित करते जेएनयू नई दिल्ली के प्रोफेसर नरेंद्र कुमार। मंच पर विराजमान हैं महर्षि दयानंद सरस्वती विश्व विद्यालय अजमेर के कुलपति प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला, डॉ. संबित कुमार पाढ़ी, डॉ. मनोज दिवाकर एवं अन्य। फोटो- न्यूज़ स्ट्रोक


-संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय बल्केश्वर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शुरू
-विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को केवल डिग्री वितरण केंद्र न बनाएं- प्रो. अनिल कुमार शुक्ला

न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 18 नवम्बर। संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय बल्केश्वर में शुक्रवार को ‘भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 दृष्टि का क्रिया में रूपांतरण’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शुरू हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश समेत आठ राज्यों से 450 से अधिक शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों का समागम हो रहा है। ताजनगरी के भी एक दर्जन से अधिक विद्यालयों के शिक्षक सहभागिता कर रहे हैं। 
सेमिनार का शुभारंभ मुख्य अतिथि दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री और विद्या भारती के अंतर्गत सरस्वती शिक्षा परिषद की आगरा इकाई के अध्यक्ष राकेश गर्ग ने मां शारदे और मां भारती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य युवा पीढ़ी में स्वरोजगार और उद्यमिता का विकास कर भारत की मूल आत्मा को नवजीवन प्रदान करना है।
उद्घाटन सत्र में की नोट स्पीकर रहे जेएनयू नई दिल्ली के प्रोफेसर नरेंद्र कुमार। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रमुख उद्देश्य भारत को विश्व गुरु बनाने के साथ नालंदा और तक्षशिला जैसा गौरव पुन: हासिल करना है। उन्होंने कहा कि जब तक उच्च शिक्षा अच्छी नहीं होगी तब तक स्कूली शिक्षा को भी बेहतर नहीं बनाया जा सकता।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के कुलपति और सेमिनार के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को केवल डिग्री वितरण केंद्र के रूप में डवलप नहीं करें। ये विद्यार्थी का रूपांतरण करने वाले केंद्र होने चाहिए। रूपांतरण हुआ तो नरेंद्र विवेकानंद हुए और एक मछुआरा कलाम बना। 
संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय के निदेशक रविकांत चावला ने विद्यालय का परिचय देने के बाद बताया कि सेमिनार के मंथन से निकले मोतियों की माला बनाकर इन निष्कर्षों को एक प्रतिवेदन के रूप में भारत सरकार को सौंपा जाएगा।
इन्हें मिला राष्ट्रस्तरीय सम्मान..
सेमिनार के पहले दिन प्रोफेसर सुगम आनंद, डॉ. मुनीश्वर गुप्ता, डॉ. मनोज कुमार रावत, डॉ. निर्मला दीक्षित, डॉ. अमित कुमार अग्रवाल और डॉ. कविता रायजादा को उनके विशिष्ट कार्यों और उपलब्धियों के लिए स्वामी विवेकानंद अवार्ड प्रदान किया गया।
इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक आनंद, गुरु घासी राम सेंट्रल यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ के डॉ. संबित कुमार पाढ़ी, जेएनयू नई दिल्ली के अर्थशास्त्र विभाग से डॉ. मनोज दिवाकर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा (महाराष्ट्र) से डॉ. प्रमोद जोशी और रुहेलखंड यूनिवर्सिटी बरेली से डॉ. विमल कुमार भी रिसोर्स पर्सन के रूप में उपस्थित रहे।

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