ड्राइविंग के दौरान नशे से ज्यादा खतरनाक नींद, खर्राटे लेने वालों में झपकी की संभावना ज्यादा



- न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया का 70 वां अधिवेशन संपन्न हुआ
- सरकार से कई सिफारिशें करेंगे न्यूरो विशेषज्ञ, दुर्घटनाएं रुक सकेंगी


न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 12 दिसंबर। जिंदगी कीमती है, इसे दुर्घटना से बचाना जरूरी है। आगरा में आयोजित न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के 70वें अधिवेशन में अंतिम दिन यही संदेश मस्तिष्क रोग विशेषज्ञों ने दिया। उन्होंने कहा कि नशे पर तो अब बहुत बात हो चुकी है लेकिन नींद पर कम ही बात हुई है जबकि वाहन चलाते वक्त नींद की झपकी आना नशे में गाड़ी चलाने से भी अधिक खतरनाक है।
न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एनएसआई) का जेपी होटल में आयोजित अधिवेशन रविवार को संपन्न हुआ। अधिवेशन के अंतिम दिन सोसाइटी ने सरकार से सिफारिश की कि ड्राॅवजी ड्राइविंग यानि उनींदेपन में गाड़ी चलाने के खिलाफ देश भर में एक कैंपेन शुरू किया जाए। सोसाइटी इसके लिए कदम बढ़ाने को तैयार है।
अधिवेशन के अंतिम दिन 82 से अधिक तकनीकी सत्र, शोधपत्र और कार्यशालाएं हुईं। सोसाइटी के अध्यक्ष डाॅ. वरिंदर पाल सिंह ने कहा कि 100 मीटर की रफ्तार पर चलने वाला व्यक्ति तीन से पांच सेकेंड में ही 100 मीटर तक आगे जा सकता है। नशा दुर्घटना कराता है क्योंकि नशे में गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति प्रतिक्रिया देने में समय लगाता है। वहीं गाड़ी चलाते वक्त अगर नींद आ जाए तो यह और भी खतरनाक है क्योंकि ऐसा ड्राइवर प्रतिक्रिया दे ही नहीं पाएगा।


फाॅल्स काॅन्फिडेंस कराता है दुर्घटनाएं
ड्रावजी ड्राइविंग के मामले में चिकित्सकों ने कहा कि फाॅल्स काॅन्फिडेंस दुर्घटनाओं की वजह बन जाता है। सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक एक महीने में 25 में से एक वयस्क 18 या इससे अधिक आयु का गाड़ी चलाते समय सो जाने की सूचना देता है। जबकि अधिकांश कोई सूचना देते ही नहीं। खर्राटे लेने वाले लोगों में गाड़ी चलाते वक्त झपकी लगने की संभावना अधिक रहती है। सात घंटे से कम नींद लेने वालों में भी अधिक होती है। वर्ष 2017 में 91000 दुर्घटनाओं में उनींदापन ही कारण था, जिनमें 50000 चोटें आई थीं और 800 मौतें हुई थीं। 2020 की पुलिस रिपोर्टों के आधार पर 633 मौतें हुईं, हालांकि इन संख्याओं को कम करके आंका गया है। ज्यादा घातक दुर्घटनाओं में उनींदापन ही शामिल है।


गर्भावस्था के दौरान हुई लापरवाही के कारण शिशु जन्म दोष स्पाइना बाइफिडा का शिकार
आयोजन सचिव व वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डाॅ. अरविंद कुमार अग्रवाल ने बताया कि सभी कहीं न कहीं एक स्वस्थ बच्चे की कामना करते हैं और उसके लिए किसी तरह के जतन में कमी नहीं रखते हैं लेकिन कहीं न कहीं गर्भावस्था के दौरान हुई लापरवाही के कारण शिशु जन्म दोष स्पाइना बाइफिडा का शिकार हो सकता है। इस बीमारी के कारण बच्चा चलने-फिरने में लापरवाह हो सकता है, मृत्यु भी हो जाती है। इसमें रीढ़ की हड्डी और मेरूदंड सही तरह नहीं बन पाते हैं। इस दोष को न्यूरल ट्यूब दोष की श्रेणी में शामिल किया गया है। सोसाइटी सरकार से यह भी सिफारिश करती है कि फाॅलिक एसिड की कमी को पूरा कर इस बीमारी को होने से रोका जा सकता है। विशेषज्ञों ने बताया कि नवजात बच्चों में शारीरिक अक्षमता का कारण प्रेग्नेंसी में मस्ष्कि का पूर्ण विकसित न होना व स्पाइन काॅर्ड का प्रेग्नेंसी के समय से ही विकृत होना है। यह स्थिति स्पाइना बाइफिडा है। गर्भावस्था के दौरान फाॅलिक एसिड की कमी इसकी मुख्य वजह है। कई मामलों में यह आनुवांशिक नहीं होती। इसलिए सोसाइटी को जोर है कि प्रेग्नेंसी प्लान करने के समय से ही किसी तरह महिलाओं के शरीर में फाॅलिक एसिड की कमी को दूर किया जाए।


दिमाग में कीड़ा दे रहा झटका: डाॅ. गगनदीप सिंह
दयानंद मेडिकल काॅलेज लुधियाना से आए डाॅ. गगनदीप सिंह ने बताया कि बात करते करते सब कुछ भूल जाएं, हाथों और पैरों में ऐंठन या फिर अचानक बेहोश होने पर लापरवाही कतई न बरतें। मिर्गी का अटैक बढ़ गया है। दिमाग में घूमता कीड़ा (न्यूरो सिस्टी सरकोसिस) यंग एडल्ट्स और बच्चों को शिकार बना लेता है। यह खाने से ट्रांसमेट होकर पेट में और फिर दिमाग में पहुंचता है। इससे भी मिर्गी के दौरे शुरू हो जाते हैं। इससे बचा जा सकता है जब हम अपनी आदतों पर थोड़ा ध्यान दें। खाने से पहले हाथ धोना, सब्जियों को धोकर अच्छे से पका कर खाना और बच्चों को समय-समय पर पेट के कीडे मारने वाली दवा देना जरूरी है। न्यूरो सिस्टी सरकोसिस के एक तिहाई से ज्यादा मामले भारत, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका जैसे देशों में हैं।

आयोजन अध्यक्ष और वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डाॅ. आरसी मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2007 के बाद आगरा में यह न्यूरोलाॅजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया को दूसरा सबसे बड़ा अधिवेशन है। आयोजन की सफलता ताजनगरी को गौरवान्वित करती है और इस बात की पूरी संभावना पैदा करती है कि आगे भी आगरा को इस आयोजन की मेजबानी का अवसर मिलता रहेगा।

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