👉इस्कॉन व डिपार्टमेंट ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किये गए प्रेरणा यूथ फेस्ट में बोलते अरविद स्वरूप प्रभु
न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 14 जुलाई। भारतीय संस्कृति और सभ्यता को जानना है तो श्रमद्भगवत गीता पढ़ें। जो हमें जीवन जीनें के नियम बताती है। हम भारतीय हर चीज में अमीर है। खान-पान, भावनात्मक रूप से, वास्तु, तकनीकि, अविष्कार कोई भी क्षेत्र हो, भारत में जितनी विविधता है और किसी देश में नहीं। तीज त्योहार, ऋतुएंं, खान-पान, पहनावा, जो और किसी देश में नहीं मिलती। विदेशों में लोग नमक और काली मिर्च के अलावा कोई मसाले नहीं जानते, जबकि भारत में ऋतुओं के अनुसार भोजन में मसाले पड़ते हैं।
विदेशों में एप्लीकेशन रास्ता बताते हैं, हमारे देश में आज भी रास्ता पूछो तो लोग अपना काम छोड़कर गंतव्य तक पहुंचा देते हैं। यह हमारे भावनात्मक रूप से दृढ़ता है बताता है। फिर भी अन्य लोग क्या खुद भारतीय भी खुद को पिछड़ा बोलते हैं।
इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस व डिपार्टमेंट ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर (डॉ. भीमराव अमेबेडकर विवि, आगरा) के संयुक्त तत्वावधान में प्रेरणा यूथ फेस्ट 2023 का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर, संस्कृति भवन बाग फरजाना में किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता आगरा इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष अरविद स्वरूप प्रभु ने वर्ल्ड आइज ऑन योर कल्चर( आपकी संस्कृति पर विश्व का नजरिया) विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत वो देश है जहां के महर्षि श्रुत ने विश्व की पहली प्लास्टिक सर्जरी की।
उन्होंने कहा कि भारत की इस गौरवशाली सभ्यता और संकृति को न सिर्फ संजोए रखना बल्कि आगे बढ़ाना आज की युवा पीढ़ी का दायित्व है। कार्यक्रम का शुभारम्भ रविन्द स्वरूप दास, डिपार्टमेंट ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर के विभागाध्यक्ष प्रो. बीडी शुक्ला ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतितियों का स्वागत अदिति गौरांग ने दिया। संचालन मोहित प्रभु व शाश्वत नंदलाल प्रभु ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से रेखा अग्रवाल, डॉ. आरके अग्निहोत्री, डॉ. यूएन शुक्ला, डॉ. बीके सिंह आदि उपस्थित थे।
हिन्दी में तलाक शब्द ही नहीं है
आगरा। अरविन्स स्वरूप प्रभु ने कहा कि हमारी संस्कृति और धर्म में तलाक जैसा कोई शब्द नहीं। क्योंकि हमारे यहां विवाह दो परिवारों का सम्बंध हैं, दो लोगों का नहीं। भारत में पहली बार 1985 में पहला डायवोर्स का मामला दर्ज हुआ। अब तलाक इसलिए हो रहे हैं क्योंकि हम पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण कर रहे हैं। भारत वो देश है जो अपने बच्चों की ही नहीं बल्कि नाती-पोतों की भी देखभाल करते हैं। छोटे-मोटे घरेलू मामले तो हमारे यहां ताऊ-ताई, फूफा-बुआ, मामा-मामी जैसे रिश्तों से ही सुलझ जाते हैं।
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