राम कथा में पुष्प वर्षा और जयघोष के बीच हुआ प्रभु श्रीराम का राजतिलक



न्यूज़ स्ट्रोक
आगरा, 28 सितम्बर। हाथों में दीपक और आंखों में अश्रुधारा। 14 वर्ष बाद वनवास से लौटे सियाराम के चरणों में हर भक्त नतमस्तक था। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ वशिष्ठ मुनि के रूप में मौजूद महामण्डलेश्वर स्वामी रामदास जी महाराज ने श्रीराम के स्वरूप के राज तिलक किया तो पुष्पों की वर्षा से कथा स्थल भक्ति की सुगन्ध से महक उठा। जय सीयाराम के साथ बजरंग बली के उद्घोष से पंडाल गूंज उठा। कथा वाचक स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने सभी भक्तों को श्रीराम के राजतिलक की बधाइयां देते हुए घर-घर में राम राज्य लाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि ईर्ष्या और द्वेष को त्यागों प्रेम से रहना सीखो तो घर-घर में राम राज्य जाएगा। 
श्री कामतानाथ सेवा समिति द्वारा चित्रकूट धाम (कोठी मीना बाजार) में आयोजित श्रीराम कथा में गुरुवार को श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु राम नंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने श्रीराम के राजतिलक के साथ कथा को विश्राम दिया। श्रीराम के राजतिलक के बाद उर्मिला, माण्डवी और सुकीर्ति को श्रीराम द्वारा अखण्ड सौभाग्यवती का आशीर्वाद देने का प्रसंग सुनाते हुए रामस्वरूपाचार्य महाराज की भी आंखें भर आईं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से साध्वी अमृतानंदमयी मानस समीक्षा जी प्रयागराजजयप्रकाश त्यागी, हकीम सिंह त्यागी, अध्यक्ष जय भोले, लवकेश चौधरी, पिंकी त्यागी, श्रीकांत त्यागी, प्रीति उपाध्याय, अलौकिक उपाध्याय, शैलेंद्र उपाध्याय, वात्सल उपाध्याय,सौरव शर्मा,अमित , सागर राणा, राकेश मंगल, दीनदयाल मित्तल, रामवीर चाहर, विमल आदि उपस्थित थे।
जीवन में भय नहीं भाव पैदा करिए...
आगरा। स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने अरण्य काण्ड में जटायु और सुग्रीव का उदाहरण देते हुए कहा कि मन में भाव को पैदा करें, भय को नहीं। सुग्रीव भय के कारण जो काम नहीं कर पाया वह भाव से परिपूर्ण होने के कारण जटयु ने कर दिया। सीता हरण के दौरान उसने अपनी चोंच के प्रहार से रावण को मूर्छित कर दिया था। मन से भय को भगाना है तो प्रतिदिन हनुमान चालीसा को पाठ करें। प्रतिदिन पांच मिनट की कीमत में भय को दूर करने का इससे बेहतर उपाय नहीं मिलेगा। 

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