दशहरे में क्या है विज्ञान जानिए


 विजय का पर्व


दीप्ति जैन 
दशहरा यानि विजयदशमी का त्योहार हिंदुओं का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन पूरे भारत में मनाया जाता है। इस बार यह कल यानी 15 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। दशहरे का शाब्दिक अर्थ है दस सिर वाले राक्षस का दहन। भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम द्वारा रावण का दहन को दशहरे के रूप में मनाते हैं। साथ ही मां दुर्गा ने भी महिषासुर का वध विजयदशमी के दिन किया था। यह त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ पूरा भारत देश मनाया जाता है। घर में पूजा अर्चना की जाती है। दस वस्तुओं का दान व दस वस्तुओं की खरीद अपनी कुण्डली अध्ययन के पश्चात करे। शुभ फल की प्राप्ति होगी।

आखिर क्या है वैज्ञानिक रहस्य

भारत में मनाए जाने वाले हर त्योहार के पीछे कुछ ना कुछ वैज्ञानिक उद्देश्य रहता है। दशहरे के दिन प्रयोग में लाई गई पूजा की सामग्री पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है।
सर्वप्रथम, हम पूजा विधि में गाय के गोबर का प्रयोग करते हैं। गाय के गोबर मे कीटाणु नाशक गुण पाए गए हैं। सावन व भाद्रपद के पश्चात नमी के कारण वातावरण में असंख्य जीवों की उत्पत्ति होती है। गाय के गोबर से बना कंडा जब भी पूजा अर्चना में जलाया जाता है तो वह कीटाणुरोधी के रूप में अनेकों बीमारियों से हमारा बचाव करता है। कंडे को जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।
पूजा में प्रयोग होने वाले चावल हमारे चंद्र ग्रह को शुद्ध करते हैं। चावल अर्पण करने से हमारी मानसिक पीड़ा कम होती है। दशहरे की पूजा में पीले गेंदे का फूल श्रीराम को चढ़ाने से हमारे गुरु ग्रह शुद्ध होते हैं। साथ ही गेंदे की सुगंध में औषधिक गुण होते हैं जो कि मच्छर व अन्य जीवों से हमारी रक्षा करते हैं।
मां दुर्गा की पूजा अर्चना में लाल गुलाब का फूल हमें शक्ति व यश प्रदान करता है।  गुलाब की गंध वातावरण में संतुलन व समन्वय बनाती है। गुलाब की सुगंध व्यक्ति की कार्य क्षमता बढ़ाती है और उसे तनावमुक्त रखती है।दशहरे की पूजा अर्चना के समय पंच मेवा की खीर का प्रसाद बनाया जाता है। खीर का प्रसाद वितरण करने से व्यक्ति के नवग्रह शुद्ध होते हैं और जीवन में आ रही बाधाएं कम हो जाती हैं।
पूजा के समय धूप व दीप प्रज्जवलन करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अगरबत्ती भी अहम है। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है। 
बहन अपने भाई को रोली से विजय तिलक लगाती है। रोली़े भाई के आज्ञा चक्र को संतुलित कर उसे शक्ति व आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करती है। 
कितना सुंदर है यह पर्व और कितने महान थे हमारे पूर्वज व गुरुजन जिन्होंने हमें त्योहारों के माध्यम से वैज्ञानिक ढंग से जीवन को ऊर्जावान बनाना सिखाया।

अद्भुत लाभ


इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए।  मां दुर्गा के पूजन से मां आदिशक्ति की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली विषमताएं, परेशानियां, कष्ट और दरिद्रता का नाश होता है और विजय प्राप्त होती है। भगवान श्रीराम की पूजा करने से धर्म के मार्ग पर चलने वालों को विजय प्राप्त होती है, इसकी प्रेरणा मिलती है। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है। नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है।

पूजा विधि


इस दिन चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाकर उस पर भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद हल्दी से चावल पीले करने के बाद स्वास्तिक के रूप में गणेश जी को स्थापित करें। नवग्रहों की स्थापना करें. अपने ईष्ट की आराधना करें ईष्ट को स्थान दें और लाल पुष्पों से पूजा करें, गुड़ के बने पकवानों से भोग लगाएं। इसके बाद यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें और गरीबों को भोजन कराएं। धर्म ध्वजा के रूप में विजय पताका अपने पूजा स्थान पर लगाएं। ये विजय दशमी का पर्व प्रेरणा देता है, कि हमें धर्म, अनीति के खिलाफ लड़ना चाहिए।
                                      
                      लेखिका आधुनिक वास्तु ऐस्ट्रो विशेषज्ञ
  

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