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नीट-पीजी दाखिले में ओबीसी, ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम मुहर, शुरू होगी काउंसलिंग



👉पीजी एडमिशन में जारी रहेगा OBC और EWS आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट

👉अगले साल से पांडेय समिति की सिफारिशों को लागू करने की मंजूरी


न्यूज़ स्ट्रोक
नई दिल्ली
। सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को अपने एक फैसले में वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण सहित स्नातकोत्तर चिकित्सा परामर्श और प्रवेश के लिए रास्ता साफ कर दिया। इससे लाभान्वित लाभान्वित होने वाले तमाम लोगों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना वाली स्पेशल बेंच ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और नीट-यूजी और नीट-पीजी के लिए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस साल मार्च में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 8 लाख रुपये की आय के मानदंड के औचित्य पर फैसला करेगी।अदालत ने मामले में पक्षों को सुनने के बाद गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति है, जहां राष्ट्रीय हित में, काउंसलिंग शुरू होनी है, जो रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध की एक प्रमुख मांग भी थी। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना ने कहा, "हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां राष्ट्रहित में काउंसिलिंग शुरू करना है।"

 केंद्र सरकार की दलील

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 27 फीसदी ओबीसी कोटा और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण दिया जा रहा है। यह जनवरी 2019 से लागू है। यूपीएससी में भी यही कोटा दिया जा रहा है। इस मामले में जनरल कैटिगरी को सीटों की हानि नहीं हुई है, बल्कि सीटों की संख्या 25 फीसदी बढ़ा दी गई है। पीजी कोर्स में रिजर्वेशन के लिए कोई मनाही नहीं है।
मेहता ने यह भी स्पष्ट किया कि जब सरकार ने 8 लाख रुपये की आय सीमा तय करने का फैसला किया तो एक व्यापक अध्ययन और व्यापक परामर्श किया गया था।
केंद्र ने ईडब्ल्यूएस मानदंड पर फिर से विचार करने के लिए गठित तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।



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