| अरनिका माहेश्वरी |
सन् 1895 में इटली के महान वैज्ञानिक मारकोनी ने रेडियो का अविष्कार किया। इसके लिए उन्हें वर्ष 1909 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पहली बार 13 फरवरी 2012 को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया गया।
इस साल विश्व रेडियो दिवस 2022 की थीम है ' रेडियो एंड ट्रस्ट'। शहरों के साथ -साथ गांव, कस्बे, और ऐसी जगहों पर रहने वाले लोगों तक जहां संचार का कोई और माध्यम पहुंचना आसान नही होता है, वहां रेडियो द्वारा हम आपनी बात बहुत आसानी से पहुंचा देते हैं। आज क्षेत्रीय स्तर पर महिलाओं के लिये रेडियो कम समय देकर रोजगार का अच्छा स्रोत है। शहरों में तो रेडियो जॉकी की डिमांड में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।
बीता कल बेहद सुनहरा था
हालांकि आज संचार के अन्य साधनों के विकसित होने और इंटरनेट के क्रांतिकारी परिवर्तन के चलते रेडियो का महत्व थोड़ा कम हुआ है। लेकिन आप 80-90 के दशक के आसपास जाएं तो पाएंगे कि उस वक्त हर घर में रेडियो हुआ करता था। मेरा मानना यह है कि सभी लोग जिनका जन्म नब्बे के दशक से पहले हुआ है, तय है कि उनका और रेडियो का रिश्ता यक़ीनन बना ही होगा। उन दिनों रेडियो की भी अपनी एक निश्चित दिनचर्या होती थी। सुबह, दोपहर, शाम के समाचार, गाने, नाटिका, किसान और फौजी भाइयों के लिए, सखियों, युवाओं, बच्चों सबके लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आते थे। वार्ता, साक्षात्कार प्रसारित होते थे। चिट्ठियां पढ़ी जातीं थीं। प्रादेशिक केन्द्रों के साथ घर-घर में विविध भारती बेहद लोकप्रिय हुआ करता था।
सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट कमेंट्री का आनंद रेडियो पर ही आता था। तमाम ऐसे कॉमेंटेटर हुए जो हॉकी और क्रिकेट जैसे खेलों का इस तरह वर्णन करते थे जैसे वह हमारे सामने घटित हो रहे हों।
पुराने रेडियो का नया रूप एफएम
आज ऐसी चीजें नहीं रही लेकिन मॉडर्न जमाने में एफएम रेडियो वगैरह ने एक बार फिर युवाओं में रेडियो की लोकप्रियता बना दी। शायद इसीलिए रेडियो जॉकी आज बड़े स्टार माने जाते हैं। आप आज भी तमाम युवाओं को एफएम रेडियो पर अपने मनपसंद गाने सुनते हैं या अन्य स्टोरी सुनते देख सकते हैं। यह सब साबित करता है कि रेडियो कल भी था और आज भी है और कल भी रहेगा। भले ही रूप बदल जाए।
पीएम की मन की बात
रेडियो का महत्व नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद तो और भी हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात रेडियो पर प्रसारित होती है। इसने दूरदराज के इलाकों में एक बार फिर रेडियो की पहचान बनाई। पीएम के मन की बात सब तक पहुंचे इसलिए रेडियो को सबसे शक्तिशाली माध्यम मानकर इसे चुना गया है।
रेडियो फ्री है
समाचार, सूचना और मनोरंजन प्राप्त करने के बहुत सारे तरीके हैं। यदि आप इसे केबल टेलीविजन या इंटरनेट से प्राप्त कर रहे हैं, तो आपको शायद इसके लिए भुगतान करना होगा।. रेडियो के साथ ऐसा नहीं है। आप इसे अपनी कार में, कैफे में और यहां तक कि लिफ्ट में भी मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं।
लेखिका अरनिका माहेश्वरी आगरा
में शिक्षिका, रंगकर्मी और रेडियो जॉकी हैं

2 Comments
Bahot acha lekh
ReplyDeleteBahot achha lekh
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