👍'इस आर्टिकल की लेखिका आगरा की युवा वर्तिका भारत बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। टेबल टेनिस की नेशनल प्लेयर होने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से भी गहरा संबंध रखती हैं।'
वर्तिका भारत (न्यूज़ स्ट्रोक)
प्यार को आप क्या नाम देंगे? क्या है इसकी परिभाषा? शायद कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती इसकी। क्योंकि प्यार के रंग अलग है, रूप अलग है। इसका अहसास अलग है। कई बार प्यार का अंत सुखद होता है तो कभी दुखद। कई बार प्रेम कहानी अंत में एक त्रासदी (ट्रेजडी) होती है, लेकिन यही बात उसे खूबसूरत बनाती है। यह उन लोगों के दिलो-दिमाग में बसी रहती है, जो उन्हें याद करते हैं। फिर भी दुखद होना दोनों लोगों की क्षति है। खोए हुए प्यार पर दिल टूटना और प्यार का अवसर चूक जाना।
क्या रोमांस दुखद हो सकता है?
प्रेम भावनाओं और व्यवहार का एक समूह है जो अंतरंगता, जुनून और प्रतिबद्धता की विशेषता है। जिसमें लोगों के बीच देखभाल, निकटता, सुरक्षा, आकर्षण, स्नेह और सम्मान शामिल है। तो फिर प्यार एक दुखद घटना कैसे हो सकती है जब इसमें ऐसी चीजें शामिल होती हैं जो एक व्यक्ति को दूसरे से जोड़ती हैं?
'प्रेम की त्रासदी' कुछ हद तक इस संदर्भ में विरोधाभास है कि प्रेम वह महान शक्ति है जो एकजुट होती है। इसे बांधती है। यानि सारा अहसास सुखद लेकिन विरोधाभास यह है कि इसमें मनुष्य को अपने पिता और माता को छोड़कर अपनी पत्नी के पास रहना पड़ता है। यानी कहीं ना कहीं अलगाव यानी ट्रेजडी।
रोमियो और जूलियट से लेकर एनिस और जैक, हेमलेट से लेकर जूलियस सीजर और ओडिपस रेक्स तक की कई सबसे सम्मोहक कहानियां दुखद हैं। लेकिन यह सब कहानी याद रखी जाती हैं। प्यार की वह सब कहानियां जिनका अंत दुखद रूप में हुआ, बरसों बरसों तक लोगों की जहन में ताजा रहती हैं, वहीं जहां सुखद अंत होता है वहां यह एक उत्सव के रूप में तो मनती है लेकिन उसके बाद यह सिर्फ दो लोगों के बीच की कहानी बन जाती है और बाकी लोग इसे भूलने लगते हैं। अब आप इसे क्या कहेंगे?
क्या प्यार और सेक्स एक ही हैं?
कई बार इसे एक समझ लिया जाता है। हालांकि मेरा मानना है कि दैहिक संबंध और प्यार कभी एक नहीं हो सकते। वैसे बहुत लोग यह मानते हैं कि प्यार की शुरुआत आकर्षण से होती है और अंत हमेशा शारीरिक मिलन पर होता है।
फिर भी यह साफ है कि प्यार और सेक्स एक ही चीज नहीं हैं। प्यार एक भावना या एहसास है। प्यार की कोई एक परिभाषा नहीं है क्योंकि ‘प्यार’ शब्द का कई अलग-अलग लोगों के लिए कई अलग-अलग मतलब हो सकता है। दूसरी ओर, सेक्स एक जैविक घटना है जो कभी-कभी आकर्षण से भी घटित हो सकती है। यदि कोई शयनकक्ष के बाहर आपके साथ बहुत सारा समय बिताना चाहता है और दोनों लोग व्यक्तिगत और अंतरंग विवरण साझा करते हैं, एक दूसरे के बारे में रुचि रखते हैं। यदि वे 'आपको परिवार और दोस्तों से मिलवा रहे हैं, या आपके साथ भविष्य की योजनाएं बना रहे हैं तो ये सभी प्यार के संभावित संकेत हैं। यानी आप एक दूसरे से रिश्ते तो प्यार का नाम दे सकते हैं।
इस बीच, यदि कोई केवल आपके साथ बिस्तर पर समय बिताना चाहता है और शयनकक्ष की दीवारों से परे आपके जीवन में निवेश नहीं करता तो संभावना है कि आप केवल अंतरंगता के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन प्यार के साथ नहीं...।
क्या प्यार जीवन का अनिवार्य हिस्सा है?
प्यार के बिना आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं लेकिन कभी संतुष्ट नहीं हो सकते। अगर संतुष्ट हैं तो कभी खुश नहीं रह सकते और खुशी ही व्यक्ति को एक सफल इंसान बनाती है अन्यथा अवसाद, विलाप पूरी दुनिया में है। प्यार न होने से एक-दूसरे से नफरत पैदा होती है। सिर्फ अराजकता होगी। प्यार के बिना जीना मुश्किल है। यह उस व्यक्ति से पूछिए जिसने अपना सबसे अच्छा दोस्त, अपना जीवनसाथी और अपने जीवन का प्यार खो दिया है। लेकिन मेरा यह मानना है कि प्यार का मतलब उस व्यक्ति से भी होना जरूरी नहीं है जो शारीरिक रूप से आपके साथ है।
अंत में प्यार एक त्रासदी नहीं बल्कि एक भावना है। एक ऐसी भावना है जिसके साथ लोग अपना जीवन खुशी के साथ जीते हैं, विलाप करने, निराश होने, चिंतित होने के बजाय दूसरों के इर्द-गिर्द आनंद मनाते हैं।
एक कहावत है, इसमें साफ कहा गया है कि वह खिड़की बंद कर दो जो तुम्हें दुख देती है, चाहे दृश्य कितना भी सुंदर क्यों न हो..।लेकिन वो प्यार ही क्या जो दर्द ना दे..?
प्यार एक पारंपरिक रूप से आनंददायक एहसास है। यदि यहां चिंता और शारीरिक दर्द का अनुभव करते हैं तो यह पूर्णत: प्यार नहीं।
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