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प्रभु श्री राम और धर्म एक हैं, अलग नहीं हो सकते-योगी

 अयोध्या सूर्यवंश की राजधानी,

 हम सभी लोगों को इस पर गर्व

 

  • वेदों के बारे में दुनिया में दुष्प्रचार किया गया : योगी 
  • प्रभु श्री राम न कभी अन्याय किए और न सहे :सीएम 



न्यूज़ स्ट्रोक
अयोध्या। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज अयोध्या और  भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि कौन ऐसा भारतीय होगा, जो अयोध्या पर गौरव की अनुभूति न करता हो? प्रभु श्री राम और धर्म एक हैं, एक दूसरे के पूरक हैं। 
मुख्यमंत्री ने आज अयोध्या में महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसी दौरान वे अपने चिर परिचित अंदाज में दिखाई दिए। ज्यों-ज्यों उत्तर प्रदेश के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, त्यों-त्यों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवर अलग अंदाज में दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि वेदों के बारे में दुनिया में दुष्प्रचार किया गया। गलत तरीके से तथ्य प्रस्तुत किए गए।
सीएम ने कहा कि अयोध्या सूर्यवंश की राजधानी है। कौन ऐसा भारतीय होगा, जो अयोध्या पर गौरव की अनुभूति न करता हो? प्रभु श्री राम और धर्म अलग-अलग नहीं हो सकते, यह एक दूसरे के पूरक हैं। प्रभु श्री राम न कभी अन्याय किए और न अन्याय सहे। अर्थात हम अधर्म नहीं करेंगे और अधर्म नहीं सहेंगे।श्री अयोध्या जी ने 500 वर्षों तक लंबे संघर्ष को देखा है।
अयोध्या जी में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने सम्पूर्ण मानवता के लिए एक अप्रतिम आदर्श स्थापित किया। समय-समय पर हमले होते रहे, लेकिन अयोध्या कभी चुप नहीं बैठी। हम लोग अन्याय व अत्याचार बर्दाश्त नहीं करते। यही अयोध्या है।
योगी ने कहा कि धर्म के परिमार्जन की परंपरा हर कालखंड में चलनी चाहिए।  समाज को कमजोर करने वाली उन सभी कड़ियों की हमेशा मरम्मत की जानी चाहिए, जिनके कारण राष्ट्र कमजोर होता है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तत्कालीन सरकारें सेक्युलर होने का दिखावा कर रही थीं, भारत और भारतीयता से मुंह मोड़ने का प्रयास कर रही थीं, तब महर्षि महेश योगी जी ने विश्व के समक्ष भारत की बात को पूरी दृढ़ता से रखने का साहस किया। उनका कार्य उस कालखंड के लिए अद्भुत था और वर्तमान के लिए अभिनंदनीय है।
वेदों के बारे में दुनिया में दुष्प्रचार किया गया। गलत तरीके से तथ्य प्रस्तुत किए गए। इन सबके बावजूद वैश्विक मंचों पर महर्षि महेश योगी जी ने बेधड़क भारत और भारतीयता, वेदों की शिक्षा, रामायण के प्रसंगों तथा महाभारत के उद्धरणों को मजबूती के साथ प्रस्तुत किया।
योगी ने कहा कि महाभारत जैसा महाग्रंथ कहीं नहीं होगा। महाभारत में सब कुछ निहित है जो हमारे वेदों में हैं जो हमारे पुराणों में हैं। एक साजिश हुई थी कि महाभारत जैसे ग्रंथों को लोग अपने घरों में न रखे। महाभारत ग्रंथ का रूप श्रीमदभगवत गीता भी है, जिसे देश में राष्ट्रीय ग्रंथ माना जाता है। हमारे न्यायालयों में उसे साक्षी माना जाता है।

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1 Comments

  1. धर्म के परिमार्जन की परम्परा हर काल खंड में चलनी चाहिए
    ना अन्याय करना चाहिए , ना सहना चाहिए

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