मुकेश उपाध्याय
लखनऊ/ आगरा, 14 मई । उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों में मिली भारी सफलता पर भाजपा जहां खुशी मना रही है, वहीं पार्टी के लिए शर्मिंदगी भी है। क्योंकि कई मंत्री अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं। इनमें यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या समेत आधा दर्जन मंत्री शामिल हैं।
कौशांबी में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के वार्ड में भी भाजपा हार गई। अब इनसे कितनी पूछताछ होगी, यह तो वक्त ही बताएगा वर्ना यह तो वो शख्स हैं जो उपमुख्यमंत्री रहते खुद विधानसभा चुनाव भी हार गए थे लेकिन हारा हुआ यह शख्स फिर से डिप्टी सीएम बनने में कामयाब रहा था।
वहीं नौकरशाह से नेता बने और यूपी के कद्दावर मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के उम्मीदवार नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर अपने गृह जिले मऊ में बसपा से हार गए। यूपी के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह के लिए भी अच्छा नहीं रहा, बरेली के आंवला नगर पालिका में उनके उम्मीदवार संजीव सक्सेना सपा के आबिद अली से हार गए थे।
रायबरेली में यूपी के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी की शालिनी कन्नौजिया की जीत सुनिश्चित नहीं कर पाए और कांग्रेस ने नगर पालिका अध्यक्ष की सीट जीत ली।
यूपी की मंत्री गुलाब देवी अपने निर्वाचन क्षेत्र संभल में दो नगर पालिकाओं पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित नहीं कर सकीं। यहां एक सीट निर्दलीय और दूसरी एआईएमआईएम ने जीती।
यूपी के मंत्री असीम अरुण के निर्वाचन क्षेत्र कन्नौज और मंत्री बलदेव सिंह औलख के निर्वाचन क्षेत्र रामपुर में भाजपा हार गई है। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह के गृह नगर अलीगढ़ की दोनों नगर पालिका में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उनके बेटे राजवीर सिंह यहां से सांसद हैं और उनके पोते संदीप सिंह यूपी के मंत्री हैं।
यूपी के एक और मंत्री नितिन अग्रवाल भी अपने ही वार्ड से बीजेपी की जीत सुनिश्चित नहीं कर सके। वही आगरा में प्रदेश के उच्च शिक्षामंत्री योगेंद्र उपाध्याय के अपने वार्ड से भी भाजपा प्रत्याशी नहीं जीत सका। यहां निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी।
दिलचस्प बात यह है कि गोंडा में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली दोनों नगर पालिकाओं में भी पार्टी हार गई है। सिंह इस समय पहलवानों के यौन उत्पीडऩ से जुड़े एक बड़े विवाद में फंस गए हैं। वह भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख भी हैं।
सभी सांसदों और विधायकों को दी गई थी जिम्मेदारी
गौरतलब है कि यूपी बीजेपी ने नगर निकाय चुनाव से पहले अपने सभी सांसदों और विधायकों से कहा था कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लें। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, यह निस्संदेह एक गंभीर मामला है कि कई मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवार को जीत नहीं दिला सके। पार्टी निश्चित रूप से स्थिति का आकलन करेगी और उसके अनुसार कार्रवाई करेगी।
मंत्रिमंडल फेरबदल में कुछ लग सकते हैं ठिकाने
उत्तर प्रदेश में योगी मंत्रिमंडल का जल्दी फेरबदल भी संभव है। सूत्रों के अनुसार विधायक और मंत्रियों का कामकाज तथा निकाय चुनाव के परिणाम रिपोर्ट कार्ड का आधार बन सकता है। ऐसे में कुछ की कुर्सी भी जा सकती है तो कुछ के पर कतर कर कम अहमियत वाले मंत्रालयों का जिम्मा दिया जा सकता है। अच्छा प्रदर्शन करने पर कुछ मंत्रियों की तो कुछ विधायकों की लॉटरी लग सकती है।
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