महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप : शर्मा-वर्मा ने पूरे किए करोड़ों भारतीयों के अरमां




न्यूज़ स्ट्रोक 
आगरा, 2 नवंबर। रविवार दो नवंबर को वह अद्भुत नजारा था जब महिला क्रिकेट के किसी मुकाबले में स्टेडियम तकरीबन खचाखच भरा था। मैच से पहले मैदान के बाहर दर्शकों की लंबी-लंबी लाइनों की तस्वीरें महिला क्रिकेट में बदलाव की कहानी को बयां कर रही थी। बारिश की वजह मैच दो घंटे देरी से शुरू हुआ लेकिन ये बदलाव इतना खास था कि बारिश के बीच जब-जब भी कैमरा दर्शकों की तरफ गया तो मैदान पर दूर-दूर तक एक भी सीट खाली नजर नहीं आई। और फिर रात होते-होते शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा ने मानो वक्त को बदल दिया। महिला विश्व कप 2025 का खिताब भारतीय टीम ने अपने नाम कर लिया। फाइनल मैच में टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराया। 52 साल के इंतजार के बाद महिला क्रिकेट टीम विश्व विजेता बन गई।
टूर्नामेंट से पहले कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा था, "हमने पिछले कुछ सालों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन अहम मौकों पर आकर हम लाइन को क्रॉस करने में कामयाब नहीं हो पाते। हमें इस बार लाइन क्रॉस करनी है। रविवार को भारतीय महिला क्रिकेट टीम पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब जीतने में कामयाब हुई।
भारतीय टीम के विजेता बनने के बाद जिन खिलाडियों का सबसे ज्यादा जिक्र हो रहा है वह है शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा। भारत को चैंपियन बनाने वालीं शेफाली वर्मा को फाइनल मुकाबले में प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। वहीं वर्ल्ड कप में 22 विकेट हासिल करने वालीं दीप्ति शर्मा प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनीं



मैच के बाद दीप्ति शर्मा ने कहा, "इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि हम चैंपियन बन गए हैं. ये सपने जैसा लग रहा है।
दीप्ति ने इस टूर्नामेंट में 200 से ज्यादा रन बनाने के साथ-साथ 22 विकेट झटके हैं. ये कारनामा कर दिखाने वाली वो एकमात्र महिला खिलाड़ी हैं
साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराने में दीप्ति के 58 रन और 5 विकेट सबसे अहम रहे.लेकिन, उनका जबरदस्त प्रदर्शन सिर्फ फाइनल मैच में नहीं था। दीप्ति ने इस टूर्नामेंट में तीन अर्धशतक लगाए हैं। यही वजह रही कि उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। दीप्ति ने ये इतिहास सिर्फ एक दिन की मेहनत से नहीं रच दिया। इसके पीछे उनका लंबा संघर्ष रहा है।



वहीं अगर बात करें शेफाली वर्मा की तो वर्ल्ड कप फाइनल से 7 दिन पहले तक शेफाली वर्मा सूरत में मौजूद थीं और सीनियर वीमेन टी-20 ट्रॉफ़ी में हिस्सा ले रही थीं. उनके हाथों में हरियाणा टीम की कमान थी लेकिन 26 अक्तूबर को बांग्लादेश के ख़िलाफ़ खेले गए मुकाबले में भारतीय ओपनर प्रतिका रावल चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर हो गईं. उसके बाद शेफाली वर्मा को टीम में मौका मिला। 30 अक्तूबर को खेले गए सेमीफाइनल में जब शेफाली वर्मा मैदान पर उतरीं तो उनका खेल पांच गेंद से आगे नहीं बढ़ पाया लेकिन तीन दिन बाद दो नवंबर को शेफाली उन्हीं तेवरों के साथ मैदान में उतरीं जिसकी वजह से उन्हें महज 15 साल की उम्र में भारतीय टीम के लिए डेब्यू करने का मौका मिल गया था और जिनको लेडी साहवाग के नाम से जाना जाता है।
शेफाली ने शुरुआत से ही अफ्रीका की गेंदबाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया और शुरुआती 10 ओवर में स्मृति मंधाना के साथ मिलकर 64 रन जोड़े. स्मृति के आउट होने के बाद भी शेफाली ने तेजी से रन बनाना जारी रखा और भारतीय टीम के लिए एक अच्छे स्कोर की नींव रखी। शेफाली ने दो छक्के और सात चौकों की बदौलत 78 गेंद में 87 रन बनाए. शेफाली जब आउट हुई तो भारत का स्कोर 27.5 ओवर में 166 रन था।
 भगवान ने भेजा  स्पेशल करने के लिये
वहीं मैच के बाद शेफाली ने कहा, "मैंने पहले भी कहा था कि भगवान ने मुझे कुछ स्पेशल करने के लिए भेजा है और आज वैसा हुआ है. ये मुश्किल था. लेकिन मैंने खुद में विश्वास बनाए रखा. मैंने खुद को भरोसा दिलाया कि मैं कुछ भी कर सकती हूं।अपनी बात को सही साबित करते हुए शेफाली ने बल्ले के साथ गेंद से भी कमाल दिखाया। 299 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका की टीम 20 ओवर में 113 रन बनाकर करोड़ों भारतीयों के सपने को तोड़ने की तरफ आगे बढ़ रही थी। तभी कप्तान हरमनप्रीत कौर ने शेफाली वर्मा को गेंद थमाई। 31 वनडे खेलने वाली शेफाली ने इससे पहले पांच ही मैचों में गेंदबाज़ी की थी और उन्हें एक विकेट ही मिला था लेकिन उन्होंने दूसरी गेंद पर ही कमाल कर दिखाया। कप्तान लॉरा के साथ मिलकर मैच को भारत की पकड़ से दूर ले जा रहीं सुने लूस को शेफाली ने आउट कर दिया। अपने दूसरे ओवर की पहली गेंद पर शेफाली ने एक और कमाल किया. दक्षिण अफ्रीका की सबसे कामयाब ऑलराउंडर मारिज़ान काप को चार रन पर ही आउट कर दिया।. महज 13 गेंद के अंतराल में दक्षिण अफ्रीका ने दो विकेट गंवा दिए और उसकी पारी लड़खड़ा गई।
बात चाहे भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी की हो या गेंदबाज़ी की शेफाली वर्मा के अधूरे काम को दीप्ति शर्मा ने फ़ाइनल मुकाबले में पूरा किया।
शेफाली के आउट होने के कुछ ही देर बाद सेमीफाइनल की हीरो जेमिमा भी पवेलियन वापस लौट गई थीं लेकिन दीप्ति शर्मा ने कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ मिलकर पारी को संभाला।
तीन ओवर के अंदर दो विकेट गिरने का दबाव दीप्ति शर्मा ने कुछ ही देर में खत्म कर दिया। दीप्ति शर्मा ने 58 गेंद में 58 रन की पारी खेली और भारत के स्कोर को 50 ओवर में 298 तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.गेंदबाज़ी में भी दीप्ति ने शेफाली के काम को आगे बढ़ाया। लगातार गिरते विकेटों के बीच दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लॉरा ने सिनालो जाफ़्टा के साथ मिलकर दक्षिण अफ्रीका की पारी को संभालने की कोशिश की लेकिन सिनालो जाफ़्टा की पारी को दीप्ति शर्मा ने 16 रन से आगे नहीं बढ़ने दिया. इसके बाद लॉरा ने जब छठे विकेट के लिए एनेरी डर्कसन के साथ 61 रन की साझेदारी की तो उस पर ब्रेक भी दीप्ति शर्मा ने ही लगाया।
दीप्ति ने 40वें ओवर की तीसरी गेंद पर एनेरी डर्कसन को बोल्ड कर दिया।उस वक्त दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 209 रन था।
अपने अगले ही ओवर की पहली गेंद पर दीप्ति ने कप्तान लॉरा को 101 रन पर आउट किया. दक्षिण अफ्रीका की पारी के 42वें ओवर की चौथी गेंद पर दीप्ति ने दक्षिण अफ्रीका की एक और बल्लेबाज़ को पवेलियन वापस भेजा।
अपने कोटे के आखिरी ओवर की तीसरी गेंद पर दीप्ति ने दक्षिण अफ्रीका का आखिरी विकेट लेकर भारत को चैंपियन बनाया. दीप्ति ने 9.3 ओवर्स में 39 रन खर्च कर पांच विकेट हासिल किए और एक बार फिर साबित किया कि क्यों उन्हें भारतीय महिला टीम का नंबर वन ऑलराउंडर माना जाता है।



जेमिमा का जिक्र भी जरूरी
 वर्ल्ड कप फाइनल की बात करें तो उससे पहले सेमीफाइनल की बात भी जरूरी है जब ऑस्ट्रेलिया की कठिन टीम के साथ भारत का मुकाबला था। मुंबई की लड़की जेमिमा रॉड्रिग्ज, जो कल तक बहुतों के लिए अनजान थी, हर घर में पहचानी जाने लगी। उसकी मिट्टी सनी टी-शर्ट और अनायास बहते आंसू महिला शक्ति का नया प्रतीक बन गए। जेमिमा ने दमदार शतकीय पारी खेलकर  भारत को फाइनल का टिकट थमाया था जो बाद में पूरी तरह कैश हुआ।

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